आम चुनाव और मध्यावधि चुनाव क्या है | आम चुनाव और मध्यवर्ती चुनाव किसे कहते है

आम चुनाव और मध्यावधि चुनाव किसे कहते है

वर्तमान समय में भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है| दरअसल लोकतांत्रिक राष्ट्र एक ऐसे राष्ट्र को कहते है, जहाँ नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग कर सरकार का चयन करते है| लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अंतर्गत देश के वयस्क नागरिक अपने प्रतिनिधियों को संसद या विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने के लिए मतदान करते है।

भारत में चुनाव का आयोजन भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है| भारत में मुख्य रूप से प्रत्येक 5 वर्षों में चुनाव संपन्न कराये जाते है और बहुमत के आधार पर सरकार का गठन किया जाता है| आम चुनाव और मध्यावधि चुनाव क्या है, उपचुनाव और मध्यवर्ती चुनाव में अंतर, इसके बारें में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे रहे है|

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आम चुनाव (General Election)

भारत में चुनाव अथवा निर्वाचन लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, एक निर्धारित समय अवधि के अन्तराल पर होने वाले चुनावों को आम चुनाव कहते है| दूसरे शब्दों में हम कह सकते है, एक नई राज्य सभा या विधानसभा के गठन हेतु होनें वाले चुनावों को आम चुनाव कहते है। आम चुनाव के अंतर्गत लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने-अपनें उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए नामित किया जाता है| चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तिओं का चयन किया जाता है।

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मध्यावधि चुनाव (Mid Term Election)

मध्यावधि चुनाव को मध्यवर्ती चुनाव के नाम से भी जाना जाता है| मध्यावधि चुनाव का मतलब एक निर्धारित समय सीमा से पहले होनें वाले चुनाव को मध्यावधि चुनाव कहते है| मध्यावधि चुनाव जब कोई निश्चित सदस्य अपना पद त्याग देता है अर्थात जब कभी मंत्रीगण किसी पार्टी से अपना त्याग पत्र देते हैं या समय से पहले ही लोकसभा भंग हो जाती है, ऐसी स्थिति में मध्यावधि चुनाव होता है| यदि नियमित चुनावों की समय-अवधि मात्र 6 माह ही शेष रह गई है, ऐसी स्थिति में मध्यावधि चुनाव नहीं कराये जाते है|

दूसरे शब्दों में, इस समय जिस पार्टी की सरकार बनी हुई है और किसी कारणवश वह सरकार अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती है और कोई अन्य राजनैतिक पार्टी भी सरकार बनानें में पूरी तरह से समर्थ नहीं है, ऐसी स्थिति में कराये जानें वाले चुनाव को मध्यवर्ती चुनाव कहते है| हालाँकि राजनीतिक पार्टी के कार्यकाल पूरा न होनें के अनेको कारण हो सकते है, जैसे कि वर्तमान पद पर नियुक्त व्यक्ति द्वारा स्तीफा देने या किसी सदस्य की आकस्मिक मृत्यु हो जानें पर आदि|

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भारत में चुनाव की शुरुआत (Election Begins in India)

हम सभी जानते है, कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और स्वतंत्रता प्राप्ति के 5 वर्षो के पश्चात 1952 में देश में पहली बार आम चुनाव कराये गये थे, जिसमें कुल 53 राजनीतिक पार्टियों नें भाग लिया था, जिसमें से 14 राष्ट्रीय पार्टियाँ और 39 क्षेत्रीय पार्टियाँ शामिल हुई थी। इस चुनाव में कुल 17 करोड़ 32 लाख लोगो नें मतदान किया था, जिसमें से केरल के कोट्टायम सीट पर सबसे अधिक 80.49 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था जबकि राजस्थान के कोट बूंदी सीट पर सबसे कम 22.59 लोगों ने अपनें मताधिकार का प्रयोग किया था|

वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस को सबसे अधिक 45 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) को 16 प्रतिशत सीटें प्राप्त हुई थी| इसके साथ ही इस चुनाव में 37 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में सफल हुए थे। देश के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू नें और पहली लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में जी.वी. मावलंकर ने शपथ ग्रहण की थी| 17 अप्रैल 1952 से लेकर 4 अप्रैल 1957 तक इस लोकसभा नें अपना कार्यकाल पूरा किया था। हालांकि अंग्रेजों नें इससे पहले कई बार चुनाव कराए परन्तु 1952 का चुनाव देश का पहला ऐसा चुनाव था, जिसमें पूरे भारतीय समाज को शामिल किया गया था।

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भारतीय संविधान के अंतर्गत चुनाव प्रक्रिया (Election Process Under Indian Constitution)

भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है, संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता के बारें में व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी गयी है। संविधान में चुनावों से संबंधित अनुच्छेद और इनका विवरण इस प्रकार है-

अनुच्छेदनिर्वाचन की व्याख्या
324चुनाव आयोग में चुनावों के लिये निहित दायित्व अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करना
325धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को मतदाता सूची में शामिल न करने और इनके आधार पर मतदान के लिये अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान
326लोकसभा एवं प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिये निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा
327विधायिका द्वारा चुनाव के संबंध में संसद में कानून बनाने की शक्ति
328किसी राज्य के विधानमंडल को इसके चुनाव के लिये कानून बनाने की शक्ति
329चुनावी मामलों में अदालतों द्वारा हस्तक्षेप करने के लिये बार (BAR)

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