HAJJ Kya Hai | हज के नियम क्या करे क्या न करे Hajj Rules in Hindi

सभी धर्मो की अपनी-अपनी तीर्थ यात्राएं होती है,ऐसी ही एक तीर्थ यात्रा इस्लाम धर्म में भी है, जिसे हज़ कहते है | इस्लाम धर्म के अनुसार हर सक्षम व्यक्ति को जो आर्थिक रूप से हज़ करने में समर्थ है, उस व्यक्ति पर हज़ करना फर्ज़ होता है | इस्लाम धर्म से संबंध रखने वाले हर व्यक्ति को अपने पूरे जीवनकाल में एक बार मक्का-मदीना जाकर हज़ की अदायगी करना होता है | हज़ इस्लाम में मुसलमानो की आस्था (ईमान) से जुड़ा एक अहम् हिस्सा है |

इसलिए प्रत्येक मुसलमान की चाहत होती है, की वह अपने जीवन में एक बार मक्का-मदीना जाकर सभी रस्मो को पूरा करते हुए अपनी हज़ यात्रा को मुकम्मल (पूरा) करे | इसके अलावा भी हज़ करने के कई फर्ज़ होते है, जिन्हे एक मुसलमान को हज़ करने के दौरान पूरा करना होता है | इस लेख में आपको हज क्या है, हज (Hajj) के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करे, तथा हज़ के लिए सब्सिडी कैसे प्राप्त करे, और हज का कुल खर्च इसके बारे में जानकारी दी जा रही है |

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हज क्या है (What is Hajj)

अभी तक हम आपको बता चुके है कि इस्लाम में हर सक्षम मुसलमान पर हज़ करना फर्ज़ होता है | हज़ और जकात इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है | जकात में जहां प्रत्येक मुस्लिम व्यक्ति हो इस्लाम के नियमो के अनुसार अपनी आय का कुछ हिस्सा दान में देना होता है | वही अगर हज़ की बात करे तो व्यक्ति को अपनी रकम हज़ यात्रा के लिए खर्च करनी होती है | इसलिए यह दोनों ही फर्ज़ किसी मुसलमान पर उस हालत में फर्ज़ होते है, जब उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है |

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हज़ 12 महीने (जिलहिज्जा) की 8वी से 12वी तारीख तक करते है | हज़ और उमरा में की जाने वाली सभी प्रक्रियाएं लगभग एक जैसी ही होती है, किन्तु दोनों में फर्क बस इतना होता है, कि हज़ इस्लामिक जिलहिज्जा के माह में किया जाता है | हज़ यात्रा में फर्ज़ की गई पांच रस्मों को पूरा करना होता है |

एहराम बांधना

हज़ यात्रा करने वाले प्रत्येक मुसलमान को एक खास तरह की पोशाक पहनना होता है | यह पोशाक दो सफ़ेद चादर के रूप में होती है | इसमें दोनों हो चादरों को पूरे शरीर पर लपेटना होता है, यही पोशाक एहराम कहलाती है | एहराम बांधने के साथ ही मुसलमानो को दाढ़ी, बाल बनाना और खुशबु लगाना मना होता है | इसलिए एहराम बांधने से पहले ही शरीर की अच्छी तरह से सफाई कर ली जाती है |

काबा का तवाफ़ करना

हज़ यात्रा करने वाले यात्रियों को सबसे पहले अपने मुल्क से निकलकर मक्का पहुंचना होता है | हजरत इब्राहिम और हजरत इस्माइल के बसाए गए इस शहर में मुसलमानो को काबा का तवाफ करना होता है | दुनिया के सभी मुसलमानो के लिए काबा शरीफ एकता का प्रतीक है | क्योकि यहाँ पर दुनिया के सभी मुसलमान शिया-सुन्नी और देवबंदी- बरेलवी के फासले को ख़त्म कर एक साथ काबा का तवाफ़ करते है | इसी काबा शरीफ की तरफ दुनिया के सभी मुसलमानो को मुँह करके पांच वक्त की नमाज़ पढ़नी होती है |

सफा-मरवा के बीच चक्कर लगाना

सफा- मरवा दो पहाड़िया है, जिनके बीच इब्राहिम की बीवी ने अपने बेटे (इस्माइल) के लिए पानी की तलाश की थी | इन्ही दो पहाड़ियों के बीच सभी हज़ यात्रियों को दुआए पढ़ते हुए सात चक्कर लगाने होते है | मक्का से 5 KM की दूरी पर मीना नाम की जगह है, जहां पर सभी हाजी इकट्ठा होते है, और शाम के समय तक नमाज़ पढ़ते है | इसके दूसरे दिन हाजियों को अराफात नाम की जगह पर जाना होता है | यहाँ पर एक बड़े से मैदान पर खड़े होकर अल्लाह से दुआ मांगी जाती है |

शैतान को पत्थर मारना

सभी हाजियों को लौटकर मीना में आना होता है, और यहाँ पर हाजी शैतान को पत्थर मरता है | यह शैतान तीन खम्भों के रूप में बने होते है, इन्ही खम्बो पर हाजियो को सात कंकड़ मारने होते है | इसे अरबी जबान में रमीजमारात कहते है | इसी जगह पर शैतान ने हजरत इब्राहिम को बहकाने की कोशिश करते हुए यह कहा था कि हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म की नाफरमानी (आदेश न मानना) करे | शैतान को मारे गए इन सभी कंकड़ों को एकत्रित कर पुनरावृत्ति की जाती है |

जानवरो की कुर्बानी

शैतान को कंकड़ मारने के पश्चात् कुर्बानी की रस्म अदायगी की जाती है | इसमें कुर्बानी के लिए भेद, बकरी या ऊंट की व्यवस्था की जाती है | यह रस्म अल्लाह की राह में औलाद की मोहब्बत और दौलत की कुर्बानी का प्रतीक कही जाती है | ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योकि हज़ारो वर्ष पहले अल्लाह के हुक्म पर पैगंबर इब्राहिम अपनी औलाद इस्माइल की कुर्बानी करने के लिए तैयार हो गए थे |

पहले हाजियो को कुर्बानी के लिए खुद जानवर खरीदने होते है, किन्तु अब हाजियो को बैंक से केवल एक टोकन खरीदना होता है | इस टोकन के लिए उतने पैसे लिए जाते है, जितने में जानवर खरीद कर उसकी कुर्बानी की जाएगी | कुर्बानी के बाद इस मीट को गरीबो में बाँट दिया जाता है |

कुर्बानी की रस्म पूरी होने के बाद सभी पुरुष हाजियो को अपने बाल मुंडवाने होते है, किन्तु महिलाओ को केवल थोड़े से ही बात कटवाने होते है | ऐसा करने के बाद ही हज मुकम्मल माना जाता है | बाल मुंडवाने के बाद सभी हाजियो को काबा में एकत्रित होकर काबा शरीफ की परिक्रमा करना होता है, जिसके बाद एक मुसलमान का हज़ मुकम्मल हो जाता है |

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हज़ यात्रा में आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज (Haj Pilgrimage Documents Required)

हज़ यात्रा के ऑनलाइन आवेदन कैसे करे (Haj Pilgrimage Online Registration)

  • यदि आप हज़ यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते है, तो उसके लिए आपको बताये गए तरीको को फॉलो करना होता है |
  • सर्वप्रथम आपको हज़ यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट http://hajcommittee.gov.in को ओपन करना होता है |
  • आपके सामने वेबसाइट का Home Page खुल कर आ जायेगा |
  • इस होम पेज में आपको Online Application के लिंक पर क्लिक करना होता है |
  • लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने एक नया पेज खुल कर आ जाता है |
  • इस पेज में आपको रेजिस्टर करना होता है, यदि आपका अकाउंट पहले से बना है, तो आप Login कर ले |
  • रजिस्टर करने के पश्चात् आप अपने अकाउंट में Login कर ले | लॉगिन के बाद आपका फॉर्म आ जायेगा |
  • इस फॉर्म में आपको पूछी गई आपको सभी जानकारियों को ठीक तरह से भरना होता है |
  • सभी जानकारियों को ठीक तरह से भरने के बाद संबंधित दस्तावेजों को स्कैन कर अपलोड करना होता है |
  • इसके बाद नीचे आपको Submit Button के बटन पर क्लिक कर फॉर्म को सबमिट करना होता है |
  • फॉर्म को सबमिट करने के बाद एप्लीकेशन फीस का भुगतान करना होता है |
  • इसके बाद आपको एक रजिस्ट्रेशन स्लिप मिल जाती है, जिसे प्रिंट करके आप सुरक्षित रख लें |

हज़ यात्रा में आने वाला कुल खर्च (Hajj Pilgrimage Total Cost)

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर देखने को मिला है, जिसका असर हज़ यात्रा करने वाले यात्रियों के खर्च पर भी पड़ा है, वर्तमान समय 2023 में हज़ यात्रा करने वाले व्यक्ति पर वर्ष 2019 की तुलना में यात्रा खर्च पर कम से कम 1 लाख 22 हजार रूपए तक बढ़ना तय है | वर्ष 2020 में कोरोना के चलते आवेदन और चयन प्रक्रिया के बावजूद हज़ यात्रा रद्द कर दी गई थी, किन्तु 2021 में सऊदी अरब और हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा हज़ यात्रा की तैयारियों को आरम्भ कर दिया गया है, जिसमे इस बार लोगो को हज़ करना महंगा पड़ेगा |

हज कमेटी ऑफ इंडिया ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर हज़ खर्च पर अनुमानित राशि को अपलोड कर दिया है | यह खर्च 3 लाख 70 हजार रूपए प्रति व्यक्ति से आरम्भ होकर 5 लाख 27 हजार रूपए तक हो सकता है | जबकि यह हज़ खर्च वर्ष 2019 में 2 लाख 48 हजार से लेकर अधिकतम 3 लाख 22 हजार रूपए तक था, जिसमे हज़ यात्रियों को पहली क़िस्त के रूप में 81 हजार रूपए तक जमा करने होते थे, वही अब उन्हें डेढ़ लाख रूपए जमा करने होंगे |

हज़ यात्रा में मिलने वाली सब्सिडी (Haj Pilgrimage Subsidy)

विश्व के सभी मुसलमानो की तरह ही भारत के मुसलमान भी हज़ यात्रा के लिए सऊदी अरब जाते है | किन्तु भारत के हज़ यात्रियों के हज़ यात्रा में आने वाले खर्च का कुछ हिस्सा सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन किया जाता है | यह हज़ सब्सिडी केवल उन हज़ यात्रियों को ही दी जाती है, जिन्होंने हज़ कमेटी के माध्यम से आवेदन किया होता है | इसके अलावा प्राइवेट टूर सर्विस द्वारा हज़ यात्रा करने वाले यात्रियों को सब्सिडी नहीं प्राप्त होती है | यात्रियों की हवाई यात्रा पर इस सब्सिडी का सबसे बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है |

यह सब्सिडी यात्रियों को न मिल के सीधा एयर इंडिया को भारत की सिविल एविएशन मंत्रालय हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा दी जाती है | भारत में हज़ यात्रियों पर सब्सिडी के तौर पर लगभग 650 करोड़ की राशि खर्च की जाती है | यह सब्सिडी सामान्य तौर पर हवाई किराये के लिए दी जाती है | यह सब्सिडी सीधा सऊदी अरब जाने वाली एयरलाइन्स को दी जाती है |

हज़ यात्री दो कैटेगरी में यात्रा कर सकते है| जिसमे पहली ग्रीन कैटेगरी और दूसरी कैटेगरी अजीजिया है | वर्ष 2016 में हज़ यात्रा में आने वाला खर्च इस प्रकार था:-

ग्रीन कैटेगरी (Green Category)

  • इस कैटेगरी में यात्रियों पर आने वाला खर्च इस प्रकार होता है |
  • मक्का में रुकने का खर्च 81 हजार रुपये |
  • मदीना में रुकने का खर्च 9 हजार रुपये |
  • एयरलाइन्स का टिकट खर्च  45 हजार रुपये |
  • अन्य खर्च 76 हजार 320 रुपये |
  • यात्रा का कुल खर्च 2 लाख 11 हजार 320 रुपये |

अजीजिया कैटेगरी (Azizia Category)

  • इस कैटेगरी में आने वाला खर्च |
  • मक्का में रुकने का खर्च 47 हजार 340 रुपये |
  • मदीना में रुकने का खर्च 9 हजार रुपये |
  • एयरलाइन्स का टिकट 45 हजार रुपये |
  • अन्य खर्च 76 हजार 320 रुपये |
  • कुल खर्च 1 लाख 77 हजार 660 रुपये |

अब इसमें सरकारी तौर पर एयरलाइन से आने जाने वाले यात्री के टिकट का खर्च 70 हजार 340 रूपए बताया गया है, जिसमे हज़ यात्रियों को केवल 45 हजार रूपए देने होते है | बाकी की राशि सब्सिडी के रूप में सरकार द्वारा वहन की जाती है, जो सीधा एयरलाइन को दी जाती है | यहाँ पर एक और दिक्कत है, कि यदि यात्री दिल्ली के अलावा ओडिशा, चेन्नई या गोवा से हज़ यात्रा करता है, तो उसका टिकेट खर्च अलग आता है | जिस हिसाब से यह सारा खेल एयरलाइन टिकेट का होता है |

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