भारत में महान्यायवादी (Attorney General) को देश का सर्वोच्च कानून अधिकारी कहा जाता है | वह सरकार का कानूनी सलाहकार तथा भारत के उच्चतम न्यायलय में सरकार का प्रमुख वकील है | भारत के महान्यायवादी का मुख्य कर्तव्य केंद्र सरकार के कानूनी मामलो में सलाह देना और राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए कानूनी प्रक्रिया को जिम्मेदारी से निभाना होता है | इसके साथ ही संविधान के अन्य कानून के अंतर्गत कई कार्यो को निर्धारित करना भी है, अपने कर्तव्य के अंतर्गत वह किसी भी न्यायालय में शामिल होने का अधिकार रखता है |

यह अधिकार उसे संसद की कार्यवाही धारा 88 के अनुसार प्राप्त है, संविधान में महान्यायवादी को कोई पद अवधि निर्धारित नहीं है, जिससे वह सभी कार्य राष्ट्रपति की मर्जी के अनुसार ही करता है, महान्यायवादी को हटाने के लिए कोई संविधानिक प्रक्रिया नहीं है | इसलिए वह राष्ट्रपति द्वारा कभी भी निष्काषित किया जा सकता है | महान्यायवादी को मतदान का अधिकार नहीं प्राप्त होता है, भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) की सूची, Attorney General of India in Hindi (List PDF) के बारें में जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़े |
जनरल अटॉर्नी की नियुक्ति (Appointment of General Attorney)
एक महान्यायवादी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है नियुक्त किया गया व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश होने के लायक होना चाहिए तथा दस वर्ष तक उच्च न्यायालय में वकील के रूप में कार्य अनुभव होना अनिवार्य होता है | इसके साथ ही उसे भारत का नागरिक होना अनिवार्य किया गया है |
महान्यायवादी के कर्तव्य एवं कार्य (Duties and Functions of Attorney General)
- वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए कानूनी मामलो पर केंद्र सरकार को सलाह देता है |
- राष्ट्रपति द्वारा आवंटित किये गए कानूनी व्यवहार तथा अन्य कर्तव्यों का प्रदर्शन करना |
- संविधान में किसी भी कानून के तहत सौंपे गए कार्यो का निर्वहन करना |
महान्यायवादी को प्राप्त अधिकार (Attorney General Obtained Right)
- अटॉर्नी जनरल को कर्तव्य निष्पादन व भारत राज्य के सभी क्षेत्रों में न्यायालय में सुनवाई का अधिकार होता है |
- संसद की दोनों सदन व उनके संयुक्त बैठक की कार्यवाही में शामिल होने का अधिकार प्राप्त होता है, लेकिन मतदान करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता है |
- संसद की समिति में जिसमे उसे सदस्य के रूप में बोलने व शामिल होने का अधिकार प्राप्त है |
- उसे वह सभी विशेषाधिकार प्राप्त होते है, जो एक संसद के सदस्य को उपलब्ध है |
भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) की सूची (Attorney General of India in Hindi (List PDF)
क्रमांक | महान्यायवादीयो के नाम | कार्यकाल |
1 | एम सी सीतलवाड़ (सबसे लंबा कार्यकाल) | 28 जनवरी 1950 से 1 मार्च 1963 तक |
2 | सी.के. दफ्तरी | 2 मार्च 1963 से 30 अक्टूबर 1968 तक |
3 | निरेन डे | 1 नवंबर 1968 से 31 मार्च 1977 तक |
4 | एस वी गुप्ते | 1 अप्रैल 1977 से 8 अगस्त 1979 तक |
5 | एल.एन. सिन्हा | 9 अगस्त 1979 से 8 अगस्त 1983 तक |
6 | के परासरण | 9 अगस्त 1983 से 8 दिसंबर 1989 तक |
7 | सोली सोराबजी (सबसे छोटा कार्यकाल) | 9 दिसंबर 1989 से 2 दिसंबर 1990तक |
8 | जी रामास्वामी | 3 दिसंबर 1990 से 23 नवंबर 1992 तक |
9 | मिलन के. बनर्जी | 21 नवंबर 1992 से 8 जुलाई 1996 तक |
10 | अशोक देसाई | 9 जुलाई 1996 से 6 अप्रैल 1998 तक |
11 | सोली सोराबजी | 7 अप्रैल 1998 से 4 जून 2004 तक |
12 | मिलन के. बनर्जी | 5 जून 2004 से 7 जून 2009 |
13 | गुलाम एस्सजी वाहनवति | 8 जून 2009 से 11 जून 2014 |
14 | मुकुल रोहतगी | 12 जून 2014 से 30 जून 2017 |
15 | के.के. वेणुगोपाल | 30 जून 2017 से अब तक |
महान्ययवादी का वेतन
संविधान के अनुसार महान्ययवादी का वेतन और भत्ते निर्धारित नहीं किये गये है, उन्हें राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक प्राप्त होता है
राज्य सभा के कार्य, शक्तियां और अधिकार
महान्ययवादी की योग्यता
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यता रखनें वाले व्यक्ति को महान्ययवादी के पद पर नियुक्त किया जाता है
- महान्ययवादी के पद पर नियुक्त होनें वाले व्यक्ति को भारत का होना अनिवार्य है
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पांच वर्ष कार्य करनें का अनुभव अथवा किसी उच्च न्यायालय में वकील के रूप का 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए