विक्रम संवत क्या है | विक्रम संवत की शुरुआत और सम्पूर्ण इतिहास |Vikram Samvat In Hindi|

विक्रम संवत एक महत्वपूर्ण हिन्दू कैलेंडर है, जिसका निर्माण प्रमुख रूप से  समय की गणना करने के लिए किया गया था ।  सनातन धर्म सबसे प्रमुख धर्म माना जाता है । विक्रम संवत कैलेंडर ग्रेगोरी कैलेंडर से 57 वर्ष पूर्व प्रारम्भ  किया गया था | वहीँ यदि हम आधुनिक समय की बात करे तो, वर्तमान समय में कैलेंडर के मुताबिक, यदि इस वर्ष 2023 का प्रारम्भ हो चुका है, तो विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार इसमे वर्ष 2077 का प्रारम्भ हो चुका होगा |

 ज्योतिष विज्ञान में विक्रम संवत कैलेंडर का उपयोग अत्याधिक किया जाता है | इसलिये यदि आपको विक्रम संवत (Vikram Samvat) के बारे अधिक जानकारी नही प्राप्त है और आप इसके बारे में जानने की इच्छा रखते है, तो यहाँ पर आपको विक्रम विक्रम संवत क्या है, विक्रमी संवत कब शुरू हुआ, Vikram Samvat In Hindi, इसके विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है | 

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विक्रम संवत (Vikram Samvat) क्या है ?

विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य द्वारा 57 ई.पू. में की गई थी वन्ही इसे लेकर मान्यता है , कि राजा विक्रमादित्य ने पहले तो अपनी सम्पूर्ण प्रजा का ऋण स्वयं समाप्त किया और इसके बाद ही  विक्रम संवत का प्रारम्भ भी कर दिया | विक्रम संवत में समय की पूरी गणना करने के लिए मुख्य रूप से सूर्य और चन्द्रमा को आधार बनाकर इसे दिन, सप्ताह, मास और वर्ष में विभाजित किया गया है |

इसका विभाजन पूर्ण रूप से वैज्ञानिक पद्धति के अधार पर किया गया है | वहीँ पौराणिक कथा के मुताबिक,  चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना आरंभ कर दी थी | जिसके बाद से ही हिन्दू धर्म में इस तिथि को ‘नववर्ष‘ के रूप में मनाया जाता है | इसके अलावा इस शुभ तिथि से नवरात्र का प्रारम्भ भी होता है । यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण धर्म माना जाता है । 

विक्रम संवत् का इतिहास ( Vikram Sanvat History)

विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व हुई.

विक्रम संवत की शुरुआत महाराजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने की।

विक्रम संवत के अनुसार नववर्ष चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा प्रारम्भ होता हैं।

विक्रम संवत की शुरुआत – शकों को पराजित करने की खुशी में हुई।

2023 में 2079 विक्रम संवत हैं।

विक्रम संवत का इतिहास अति प्राचीन होने के साथ-साथ सनातन संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें तिथियों और नक्षत्रों का सही और सटीक स्पष्टीकरण है. गणित की दृष्टि से देखा जाए तो यह सबसे स्पष्ट है. किसी नए संवत् को चलाने की एक शास्त्रीय विधि होती है जिसके अनुसार राजा को अपने साम्राज्य का संपूर्ण ऋण चुकाना पड़ता है जिसमें प्रजा का व्यक्तिगत ऋण भी शामिल है।

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कैलेंडर कैसे कार्य करता है 

इस कैलेंडर का निर्माण सूर्य और चन्द्रमा के आधार पर किया गया है, पृथ्वी 365/366 दिन में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करती है | सूर्य की इस अवधि को एक वर्ष के रूप में मान्यता प्रदान की गयी है | वहीँ इस अवधि को पूरा करते-करते चंद्रमा पृथ्वी के लगभग 12 चक्कर को पूर्ण करता है, इसलिए सम्पूर्ण वर्ष को 12 से विभाजित कर दिया गया है । इसके साथ ही वर्ष के 12 भागों को क्रम से निर्धारित करने के लिए इनका नामकरण किया गया | जिनकी जानकारी इस प्रकार है-

  • एकाम्बर ( 31 )
  • दुयीआम्बर (30)
  • तिरियाम्बर (31)
  • चौथाम्बर (30)
  • पंचाम्बर (31)
  • षष्ठम्बर (30)
  • सेप्तम्बर (31)
  • ओक्टाम्बर (30)
  • नबम्बर (31)
  • दिसंबर ( 30 )
  • ग्याराम्बर (31)
  • बारम्बर (30/29)

हमारी संस्कृति में विक्रम संवत

जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा हमारे सांस्कृतिक मूल्य विक्रम संवत से जुड़े हुए हैं। विक्रम संवत के अनुसार ही हमारे देश में हिंदू धर्म को मानने वाले नववर्ष मनाते हैं। ना सिर्फ भारत में बल्कि पश्चिम बंगाल, नेपाल, श्रीलंका, म्यानमार, असम, बंगाल, तमिलनाडु, राजस्थान और गुजरात आदि स्थानों पर विक्रम संवत के अनुसार नव वर्ष बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

हमारी संस्कृति की वास्तविक पहचान विक्रम संवत से ही है। पश्चिम बंगाल में नववर्ष वैशाख के प्रथम दिन को मनाया जाता है।

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भारत के संविधान में विक्रम संवत का प्रयोग  

विक्रम संवत का प्रयोग मुख्य रूप से भारत के संविधान के निर्माण के समय किया गया था | संविधान की प्रस्तावना में संविधान को जिस तिथि के मुताबिक लागू किया गया है । वह तिथि विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार ही तय की गई है | जिससे आपको इस कैलेंडर के महत्व के विषय में जानकारी प्राप्त होती है |

महीनों के नाम

क्र०सं०महीनों के नामपूर्णिमा के दिन नक्षत्र जिसमें चन्द्रमा होता है
1.चैत्रचित्रा, स्वाति
2.बैशाखविशाखा, अनुराधा
3.जेष्ठजेष्ठा, मूल
4.आषाढ़पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा
5.श्रावणश्रवण, धनिष्ठा
6.भाद्रपदपूर्वाभाद्र, उत्तरभाद्र
7.आश्विनअश्विन, रेवती, भरणी
8.कार्तिककृतिका, रोहणी
9.मार्गशीर्षमृगशिरा, उत्तरा
10.पौषपुनवर्सु, पुष्य
11.माघमघा, अश्लेशा
12.फाल्गुनपूर्वाफाल्गुन, उत्तरफाल्गुन, हस्त

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अंग्रेजी में महीनो के नाम 

क्र०सं०महीनों के नाम
जनवरी 
फरवरी 
मार्च 
अप्रैल 
मई 
जून 
जुलाई 
अगस्त 
सितम्बर 
अक्तूबर 
नवम्बर 
दिसम्बर 

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