भैया दूज (Bhai Dooj) क्या है | भाई दूज क्यों मनाया जाती है, भैया दूज की कहानी हिंदी में

भैया दूज (Bhai Dooj) से सम्बंधित जानकारी

भैया दूज का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन मनाया जाता है| यह त्योहार भाई बहन के स्नेह का प्रतीक माना जाता है| यह त्योहार दिवाली के तीसरे दिन अर्थात दीपावली श्रृंखला का यह आखरी त्योहार होता है, तथा इस त्योहार को भाई दूज तथा यम द्वितीया के नाम से भी जानते है| इसी कारण इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है|

पुराणों में मान्यता है इस दिन बहनो के द्वारा यम देव की पूजा करने से भाई पर अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है यह त्योहार पूरे भारत में भाई-बहनो के द्वारा श्रद्धा, विश्वास तथा प्रेम का  प्रतीक माना जाता है| यहाँ आपको “भैया दूज क्या है क्यों तथा कैसे मनाया जाता है पूरी जानकारी” उपलब्ध कराई गयी है|

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भैया दूज के त्योहार का मतलब है (Meaning of Bhiyadooj Festival)

हिन्दू धर्म के अन्य त्योहारों के भाति ही यह त्योहार भी मान्यताओं से जुड़ा हुआ है| यह त्योहार भाई बहन के रिश्ते को और अधिक मजबूत बनाता है, तथा इस दिन बहने भाई को तिलक लगा कर सुख, समृद्धि तथा दीर्घ आयु होने की कामना करती है, भाई भी बहनो को उपहार के रूप में भेट प्रदान करते है, तथा साथ ही बहन की रक्षा करने का वचन भी देते है|

मान्यता है कि इस दिन भाई और बहन को एक साथ यमुना नदी में स्नान करना चाहिए यदि संभव हो सके तो भाई को अपनी बहन के घर जाकर स्नान करना चाहिए, तथा बहन के हाथो का बना भोजन करना चाहिए यदि बहन की शादी नहीं हुई है तो घर पर ही उसके हाथो का बना भोजन करना चाहिए| इससे भाई बहन का प्रेम बना रहता है, तथा दीर्घायु प्राप्त होती है| साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि का आगमन होता है बहनो के द्वारा भाई का तिलक कर उज्जवल भविष्य की कामना की जाती है|

Bhiyadooj Festival 2023

नामभाई दूज
अन्य नामभाई टीका, भाऊ बीज, भाई फोटा, भ्रातृ द्वितीया
तिथिबहन (अमांता) / बहन (पूर्णिमांत), पक्ष, तिथि
उद्देश्यधार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन
अनुयायीहिंदू
पालनबहनें आमतौर पर अपने भाइयों को अपने पसंदीदा व्यंजन और मिठाइयों सहित शानदार भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं
आवृत्तिसालाना
तारीख15 November 2023

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भैया दूज का त्योहार वर्ष 2023 में कब है? (When bhaiyadooj Festival on year 2023)

इस वर्ष दीपावली का त्योहार 12 नवंबर 2023  को मनाया जायेगा | इसके दूसरे दिन गोवर्धन पूजा तथा इस त्योहार के अंतिम दिन यानि 15 नवंबर, 2023 को भैयादूज का त्योहार मनाया जायेगा |

भैया दूज पूजा का शुभ मुहूर्त 2023 (bhaiyadooj Auspicious time of worship)

भैया दूज के दिन तिलक का शुभ मुहूर्त 15 नवंबर, 2023 दोपहर 01:18 से लेकर सांयकाल 03:23 बजे तक रहेगा तथा पूजा की कुल अवधि, 02 घंटे, 12 मिनट की रहेगी|

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भैया दूज का त्योहार कैसे मनाया जाता है? (How is celebrated Bhaiyadooj Festival)

अन्य त्योहारों की ही तरह भैया दूज का त्योहार भी सभी जगह मनाने का भी अपना अलग -अलग तरीका है। इस दिन बहनों के द्वारा अपने भाई के लिए उज्जवल भविष्य तथा लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है| इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और गणेश जी का पूजन करती है तथा बहुत से स्थानों पर चावल पीसकर आँगन के बीच में सभी देवताओ की आकृति बना कर पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है|

बहनो के द्वारा इस दिन व्रत रखा जाता है, तथा  इसके बाद बहनों द्वारा अपने भाईयों के माथे पर कुमकुम अक्षत से तिलक लगाकर मिठाई खिलाई जाती है, तथा भाईयो के द्वारा बहनो को उपहार स्वरूप पैसे, आभूषण, वस्त्र आदि दिए जाते है| इस दिन भाई का  बहन के घर जाकर तिलक के बाद भोजन करना शुभ फलदायक होता है|

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भैया दूज त्योहार का प्रारंभ (कथा) (Bhaiya Dooj festival begins (Story))

भाई दूज का यह त्योहार प्राचीनकाल से मनाया जा रहा है | इसका इतिहास काफी पुराना है, यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है, भाई-बहन के विश्वास के बंधन का यह सबसे पुराना त्योहार माना गया है। इस पर्व को लेकर ऐतिहासिक तथा पौराणिक कथा प्रचलित है। यमराज तथा यमुना की कहानी के रूप में, कुछ इस प्रकार है:-

इस कथा के अनुसार सूर्य देवता की पत्नी का नाम संज्ञा था तथा इनकी दो संताने थी। इनके पुत्र का नाम यमराज तथा पुत्री का नाम यमुना। यमदेव बहन यमुना से अलग रहते थे, लेकिन मिलने के लिए आते रहते थे| जब यम देव  ने यमपुरी नगरी का निर्माण किया तो उनकी बहन यमुना भी उनके साथ रहने लगी। भाई यम के द्वारा यमपुरी में पापियों को दंड देते देख यमुना काफी दुखी होती थी। इसलिए वह यमपुरी का छोड़कर गो लोक में रहने चली गयी। कुछ समय बाद जब यमराज स्वयं गोलोक गए, तब उनकी भेट यमुना जी से हुई।

यमुना के आग्रह पर वह उनके घर गये, बहन यमुना के द्वारा यम देव का बहुत आदर तथा सेवा सत्कार किया और भिन्न भिन्न प्रकार के स्वादिष्ट भोजन कराया। बहन की इस सेवा से प्रसन्न होकर यमराज ने उनके वर मांगने को कहा तब उन्होंने कहा कि भैया मैं चाहती हूँ जो भी भाई आज के दिन अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करें उसे आपके कोप को न सहना पड़े। इसके साथ ही जो भी व्यक्ति आज ही के दिन  यमुना नदी के  जल में स्नान करे, उसे यमपुरी न प्राप्त हो। ऐसी मान्यता इसी पौराणिक घटना के बाद से उसी दिन से प्रतिवर्ष भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला, भाई दूज का यह पर्व मनाया जाने लगा।

भाई दूज का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, भाई दूज वाले दिन यमराज हर वर्ष अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर जाते हैं। उन्होंने यमुना को आशीष दिया था कि भाई दूज वाले दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, तिलक लगवाएगा और भोजन ग्रहण करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और उसे कभी यम का भय नहीं होगा।

भाई दूज की कहानी

यमुना तथा यमराज भाई बहन थे। इनका जन्म भगवान सोइरी नारायण की पत्नी छाया की कोख से हुआ था। यमुना यमराज से बहुत ज्यादा स्नेह करती थी। यमुना यमराज को बार बार अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित करती है लेकिन यमराज अपने कार्य मे व्यस्त होने के कारण हर बार यमुना की बातों को टाल देते थे।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना यमराज को अपने घर में भोजन करने के लिए वचनबद्ध कर लेती है। यमराज भी सोचते हैं कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ मुझे तो कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता लेकिन मेरी बहन मुझसे कितना स्नेह करती है जो इतनी सद्भावना से मुझे अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित कर रही है।

तिथि के दिन यमराज बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकलते है और नरक के सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं। यमराज के घर पहुंचते ही यमराज को अपने द्वार में देख यमुना की खुशी का ठिकाना नही रहता और वह सबसे पहले स्नान करके यमराज को तिलक करके भोजन कराती है।

बहन के अपने प्रति स्नेह, आदर और सम्मान को देखकर यमराज खुश हो जाते हैं और यमुना को वर मांगने का आदेश देते हैं। यमुना ने कहा भद्र! इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का आदर, सत्कार और टीका करके भोजन कराये उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र और आभूषण देकर चले जाते हैं।

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