परिसीमन (Delimitation) क्या होता है| Delimitation Commission of India in hindi

परिसीमन (Delimitation) से संबंधित जानकारी

उत्तर प्रदेश में होनें वाले त्रि-स्तरीय पंचायती चुनाव के लिए शासन स्तर से तिथियों की घोषणा अभी नही हुई है, परन्तु चुनाव के लिए प्रशासनिक तैयारियों को देखते हुए संभावित प्रत्याशियों नें चुनाव प्रचार –प्रसार के साथ ही जनसंपर्क शुरू कर दिया है| गांवों की दुकानों,  नुक्कड़ो पर और प्रत्याशियों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है|

हालाँकि पंचायती चुनाव को देखते हुए शासन द्वारा परिसीमन का आदेश जारी हो चुका है, और परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश की कई ग्राम सभाएं समाप्त हो जाएँगी, जिसके कारण प्रत्याशियों को बड़ा झटका लगेगा| अब प्रश्न यह उठता है, कि आखिर परिसीमन क्या होता है? यदि आपको इसके बारें में जानकारी नहीं है, तो आपको इस पेज पर परिसीमन क्या होता है, परिभाषा, गठन और कार्य के बारें में पूरी जानकारी विस्तार से दे रहे है|

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परिसीमन की परिभाषा

परिसीमन का प्रमुख अर्थ “सीमा निर्धारण” होता है, अर्थात जब किसी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण किया जाता है उसे परमीसन कहा जाता है | वहीं जिसका सरल शब्दों में अर्थ होता है कि, जब पूरे देश में निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा खीचने  के लिए राष्ट्रपति एक स्वतंत्र संस्था का गठन करते हैं, उसे परिसीमन आयोग कहते हैं | 

परिसीमन क्या होता है (What Is Delimitation)

परिसीमन का शब्द का सीधा अर्थ सीमा निर्धारण से है, अर्थात जब कोई देश घरेलू, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीमाओं का निर्धारण करता है, तो इसे परिसीमन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, जनसँख्या के आधार पर लोकसभा और राज्य सभा सीटों की सीमाओं का पुनः निर्धारित करना परिसीमन कहलाता है| 

भारतीय संविधान के आर्टिकल 82 के अनुसार, सरकार द्वारा प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल में परिसीमन आयोग का गठन करती है। परिसीमन के अंतर्गत विधानसभा व लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण जनसँख्या के आधार पर किया जाता है, जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति सीटों की संख्या संशोधित हो जाती है |

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परिसीमन आयोग का गठन (Constitution of Delimitation Commission)

परिसीमन आयोग को भारतीय सीमा आयोग के नाम से भी जाना जाता है। परिसीमन आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 82 के अन्तर्गत किया जाता है| परिसीमन से सम्बंधित अधिसूचना भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाती है। भारत में सबसे पहले परिसीमन आयोग का गठन 1952 में किया गया था, इसके पश्चात वर्ष 1963,1973 और 2002 में परिसीमन आयोग गठित किए जा चुके हैं और वर्ष 2002 के बाद परिसीमन आयोग गठन नहीं हुआ।

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परिसीमन का उद्देश्य (Purpose of Delimitation)

भारत में प्रत्येक जनगणना के पश्चात परिसीमन आयोग का गठन होता है| परिसीमन का मुख्य उद्देश्य नई जनगणना के आधार पर सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाएं पुनः निर्धारित करना होता है। यह सीमाएं पुनः निर्धारित करनें में सीटों अर्थात जन-प्रतिनिधियों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है|

इसमें एससी/एसटी की विधानसभा सीटों का निर्धारण क्षेत्र की जनगणना के अनुसार होता है। परिसीमन से जातिगत आधार पर सीटों की संख्‍या में कमी और बढ़ोत्तरी हो सकती है| हालाँकि अंतिम परिसीमन के अनुसार, एससी/एसटी की सीटो में वृद्धि हुई है, जिसके कारण उन क्षेत्रो में मौजूदा सांसदों को अपनी सीटें छोड़नी पड़ती है|    

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परिसीमन निर्धारित करनें का आधार (Basis For Setting Delimitation)

परिसीमन के अंतर्गत सीमाओं को निर्धारित करनें का आधार इस प्रकार है-

  • जनसँख्या के आधार पर
  • क्षेत्रफल के आधार पर
  • क्षेत्र की भौगोलिक और राजनीतिक प्रकृति के आधार पर
  • कोई अन्य समसामयिक कारण

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परिसीमन आयोग का मुख्य कार्य (Main Function of Delimitation Commission)

  • ताजा जनगणना के आधार पर देश के सभी लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को पुनः निर्धारित करना।
  • लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं के पुनः निर्धारण में चयनित प्रतिनधियों की संख्या में कोई संशोधन नहीं होना।
  • विधानसभा सीटों के निर्धारित क्षेत्रों की जनगणना अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की गणना के अनुसार करना।

परिसीमन आयोग का अध्यक्ष कौन होता है (Chairman of Delimitation Commission)

परिसीमन आयोग का अध्यक्ष, मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) होता है। वर्तमान में सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त है और परिसीमन आयोग का अध्यक्ष भी है|   

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