वन चाइना पॉलिसी क्या है | One-China Policy in Hindi

वन चाइना पॉलिसी (One-China Policy)

चीन अपने देश में ‘वन चाइना पॉलिसी’ लागू करने जा रही है जिस पालिसी के अंतर्गत चीन ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है। इसमें चीन का मानना है कि चीन एक राष्ट्र है और ताइवान उसी का भाग है | जिस प्रकार  हांगकांग और मकाऊ,  चीन के क्षेत्र में आते हैं। हालांकि अभी ताइवान ने चीन की वन चाइना पॉलिसी को नहीं मानता और अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करता है। चीन ने कहा है कि यदि दुनिया का कोई भी देश ताइवान से संबंध रखता है तो उसे अपने सभी संबंध तोड़ने होंगे, क्योंकि चीन उसे अपना ही हिस्सा मानता है। इसी वजह से दुनिया के ज्यादातर देशों ने ताइवान को मान्यता नहीं प्रदान की हैं। यदि आप भी चीन और ताइवान के बीच तनाव का कारण बनी ‘वन-चाइना पॉलिसी’ के विषय में जानना चाहते है तो यहाँ पर इसके विषय में जानकारी दी जा रही है |

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क्या है ‘वन-चाइना पॉलिसी’

चीन को विश्व भर में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के रूप में जाना जानते है और इसी के साथ चीन गणराज्य को ज्यादातर ताइवान के रूप में पहचान मिली हुई है। यह एक साझे इतिहास के साथ अलग राज्य के रूप में बने हुए हैं । चीन अभी तक ताइवान की संप्रभुता पर अपना दावा पेश करता रहा है। वर्ष 1928 ई० में चीन के पुनर्मिलन के पश्चात, ज्यादातर मुख्य भूमि पर चीन द्वारा शासन के साथ उसपर अधिकार था। ताइवान द्वीप पर इसके पहले जापान के शासन के अधीन था। वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसके अंत में, जापान ने ताइवान को चीन गणराज्य के अधीन करके आत्मसमर्पण कर दिया था ।

इसके पश्चात वर्ष 1949 में चीन में एक गृहयुद्ध छिड़ गया,  जिसमे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की स्थापना की गई और पूरी प्रमुख भूमि चीन के अधिपत्य में आ गई। सिर्फ ताइवान का द्वीप गणराज्य चीन पर चीन का अधिकार हो गया । फिर वर्ष 1992 में ‘वन चाइन पॉलिसी’ को बढ़ावा देना शुरू किया गया और फिर इसमें चीन का नाम दिया गया । लेकिन  इसके बावजूद भी ताइवान का क्षेत्र विवादित रहा है।

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वन-चाइना पॉलिसी’ चर्चा में क्यों है

चीन के ताइवान क्षेत्र के स्थानीय चुनावों में चीन समर्थित पार्टी की जीत के बाद से ‘वन-चाइना पॉलिसी’ के मुद्दे ने  फिर से तूल पकड़ लिया है। चीन वर्षों से सांस्कृतिक और समान भाषा वाले ताइवान को अपने देश का ही हिस्सा मानता आया है। लेकिन ताइवान इसे अपनी संप्रभुता का सवाल मानता रहा है। परन्तु इसमें देखने वाली बात ये है कि चीन से अलग होने के बाद भी ताइवान खुद को आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ चाइना बताता रहा है।ताइवान के वर्तमान राष्ट्रपति ‘साइ इंग-वेन’ ने हाल ही में हुए इलेक्शन में चीन समर्थित पार्टी की जीत के उपरांत अपने अधिकारियों को चीन से दूरी बनाने की सलाह भी दे चुका है। 

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वन-चाइना पॉलिसी’ के मुख्य बिंदु

  • चीन सांस्कृतिक और समान भाषा वाले ताइवान को अभी तक अपना हिस्सा मानता आया है।
  • वन चाइना पॉलिसी के अनुसार माना जाए तो ताइवान कोई अलग देश नहीं, बल्कि चीन का ही भाग है।
  • वर्तमान समय में चीन के 170 से भी अधिक देश कूटनीतिक साझेदार है, जबकि ताइवान के सिर्फ 22 साझेदार है।
  • चीन से खुद को अलग बताने के बावजूद भी ताइवान स्वयं को आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ चाइना बताता रहा है।

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