लम्पी वायरस गाय का इलाज | लम्पी वायरस का देसी इलाज | Lampi Virus Cow Treatment in Hindi

जंहा पहले लोग कोरोना जैसी महामारी से डरते थे, तो वहीं अब लोग अपने पशुओं को लेकर भयभीत रहने लगे है, क्योंकि वर्तमान में लम्पी वायरस जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी पशुओं में बहुत तेजी के साथ बढ़ती जा रही है | यह लम्पी वायरस गायों के ऊपर अधिक हावी हो रहा है | उत्तर प्रदेश राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश के साथ-साथ यह वायरस उत्तर प्रदेश के और भी कई राज्यों में अपनी तबाही मचा रहा है |

इसलिए यदि आप भी पशुओं को इस लम्पी वायरस से बचाना चाहते है, तो इस पोस्ट के माध्यम से आप लम्पी वायरस गाय का इलाज | लम्पी वायरस का देसी इलाज के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करके अपनी गाय को सुरक्षित कर सकते है | 

लम्पी वायरस क्या है

लम्पी वायरस क्या है (What is Lampi Virus) ? 

लम्पी वायरस एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी का रूप लेकर खासकर गायों में पाया जा रहा है | लम्पी वायरस गंदगी वाले स्थानों पर अधिक अक्रामण करता है | इसलिए अपने पशुओं के स्थानों पर साफ-सफाई का वातावरण बनाकर रखें | इसके अलावा   मक्खी , चिचडी एंव मच्छरों के काटने से भी या वायरस पशुओं के शरीर में जल्दी फैलने लगता है | इस वायरस से ग्रसित होने के बाद गायों के शरीर में छोटी-छोटी गांठे उभरकर बाहर दिखाई देने लगती है और साथ ही पशुओं को  बुखार आना भी प्रारम्भ हो जाता है, जिससे उनका खाना – पीना भी बेहद कम हो जाता है | इसलिए आप  नीचे दिए गये इन घरेलू उपायों से अपने गायों का बचाव बहुत ही सरलता पूर्वक कर सकते है | 

लम्पी वायरस नियंत्रण के उपाय 

लम्पी वायरस जैसे खतरनाक वायरस से  ग्रसित पशु को दूसरे पशुओं से अलग रखें और अपने पशुओं के आस-पास मक्खी,चिचडी एंव मच्छर आने पर रोकथाम लगाने के लिए समय-समय पर स्प्रे का छिड़काव करते रहें, ताकि आपका पशु सुरक्षित रहें और यदि लम्पी वायरस से किसी पशु की मृत्यु हो जाती है, तो आप अपने पशु को किसी बड़े और गहरे गड्ढे में दबा दें, ताकि उसके कीटाणु किसी दूसरे पशु के पास न पहुँच सके | 

लम्पी वायरस गाय का इलाज (Treatment) 

प्रशासन की तरफ से निर्देश देते हुए कहा गया है कि, अगर किसी भी पशुपालक को अपनी गायों में इस बीमारी का लक्षण दिखे तो वह तत्काल पशु चिकित्सा विभाग को सूचित करें  और इलाज कराएं | वहीं, पशुओं में तेजी से फैलने वाले लम्पी वायरस पर रोकथाम लगाने और जागरुकता के सम्बंध में बताते हुए जिलाधिकारी ईशा दुहन ने जनसामान्य से अपील किया है और कहा है कि यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें | प्रभावित पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें और प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करें | 

लम्पी वायरस का देसी इलाज (Lampi Virus Cow Treatment in Hindi) 

लंपी वायरस जैसे बड़े और खतरनाक संक्रमण से अपने पशुओं का बचाव करने के लिए पशुओं को आंवला,अश्वगन्धा, गिलोय एंव मुलेठी में से किसी एक का चुनाव करके उसमें 20  ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर लड्डू बना लें और फिर सुबह शाम अपने पशु को लड्डू का सेवन कराएं | इसके अलावा तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी , दालचीनी 05 ग्राम सोठ पाउडर 05 ग्राम , काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिला लें और इसे भी सुबह शाम खिलाएं | इस वायरस पर रोकथाम लगाने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कण्डे में गूगल,कपूर,नीम के सूखे पत्ते , लोबान को डालकर सुबह शाम पशुओं के आस-पास धुआँ बनाकर रखें | वहीं इस संक्रमण से ग्रसित पशुओं को 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एंव 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर स्नान कराएँ और स्नान के  बाद सादे पानी से भी पशु को नहला दें | 

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संक्रमण होने के बाद लम्पी वायरस का देसी इलाज ( Lampi Virus after Cow Treatment in Hindi )

यदि आपका पशु इस लम्पी वायरस से ग्रसित है,  तो आप नीचे दी गई इन सामग्रियों का इस्तेमाल करें 

सामग्री –

  • एक मुट्ठी – नीम के पत्ते |
  • एक मुट्ठी – तुलसी के पत्ते |
  • 10 नग – लहसुन की कली |
  • 10 नग – लौंग |
  • 10 नग  – काली मिर्च |
  • 15 ग्राम – जीरा |
  • 10 ग्राम –   हल्दी पाउडर |
  • 05 नग – पान के पत्ते |
  • 02 नग – छोटे प्याज |

इन सभी सामग्रियों को एक में मिलाकर पीस लें और फिर इसमें आवश्यकतानुसार गुड़ मिलाकर सुबह शाम 10-14 दिन तक सेवन कराएं इससे आपके पशु में अधिक सुधार आ जाएगा | 

संक्रमण के दौरान घाव होने पर देशी इलाज ( Treatment in Hindi )

यदि आपके पशु के वायरस से गर्सित होने दौरान घाव से भी पीड़ित है, तो उसके लिए ये उपचार करें –

  • एक मुट्ठी – नीम के पत्ते
  • एक मुट्ठी – तुलसी के पत्ते 
  • एक मुट्ठी –  मेहंदी के पत्ते
  • 10 कली – लेहसुन की
  • 10 ग्राम – हल्दी पाउडर  
  • 500 मिलीलीटर – नारियल का तेल

ऊपर दी गई इन सभी सामाग्रियों को आपस में मिलाकर धीरे-धीरे पकाये और फिर ठण्डा होने पर घाव पर लगायें , लेकिन इससे पहले आपको अपने पशु के घाव की धुलाई करनी होगी | घाव को धुलने के लिए आप नीम की कुछ पत्तियों को पानी में उबाल ले और फिर उसी पानी से घाव  की सफाई करें | इसके अलावा आप अपने किसी नजदीक के पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करके उससे परामर्श भी ले सकते है |

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