IPO full form? IPO meaning? IPO क्या है? निवेश कैसे करे | पूरी जानकारी

आईपीओ (IPO) से संबंधित पूरी जानकारी विस्तार से

दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति कम समय में अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहता है हर शख्स अपनें-अपनें तरीके से जैसे कुछ लोग नौकरी के माध्यम से, व्यवसाय के माध्यम से और अन्य तरीको से पैसा कमाते है| बहुत से लोग ऐसे होते है जो अपनें धन से कम समय में ही दोगुनें से भी अधिक कमाना चाहते है| ऐसे लोगो के लिए शेयर मार्केट सबसे अच्छा विकल्प है| दुनियाभर में बहुत से लोग है जो शेयर बाजार में निवेश कर अच्छा पैसा कमा रहे है और बहुत से लोग ऐसे है जो अपना धन तो दोगुना करना चाहते है, परन्तु इसकी सटीक जानकारी नहीं है| आज हम आपको शेयर मार्केट से जुड़ी एक ऐसी जानकारी दे रहे है, जिसकी सहायता से आप कुछ समय में अपनें धन को डबल कर सकते है| 

हम बात कर रहे है आईपीओ की, इसके बारें में अधिकांश लोगो को जानकारी नहीं है| आईपीओ द्वारा स्टॉक मार्केट से पैसा कमानें का एक अच्छा तरीका है| आईपीओ के माध्यम से कोई भी निवेशक इसके नियमों का पालन कर बहुत ही कम समय में अपनें पैसों को अधिक कर सकता है| तो आएये जानते है आईपीओ (IPO) का क्या मतलब है, इसका फुल फार्म और इसमें निवेश कैसे करे ?

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आईपीओ फुल फार्म (IPO Full Form)

आईपीओ (IPO) का फुल फार्म इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (INITIAL PUBLIC OFFERING) हैं, जिसे हिंदी में सार्वजनिक प्रस्ताव कहते है|  इसके लिए कंपनी शेयर बाजार में अपने को लिस्टेड कराकर अपने शेयर  निवेशको को बेचने का प्रस्ताव लाती है|                     

आईपीओ क्या है (What Is IPO)

आईपीओ का मतलब आरंभिक सार्वजनिक पेशकश होता है। जब कोई नई या पुरानी कम्पनी पहली बार अपनें शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो इसे आईपीओ कहते हैं| दूसरी भाषा में हम यह कह सकते है कि कंपनियां अपने शेयर आम लोगो को ऑफर कर आईपीओ के माध्यम से कंपनी फंड एकत्र करती है और उस फंड को कंपनी की प्रोग्रेस में स्पेंट करती है| इसके बदले में आईपीओ खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है, मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते है तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं| एक कंपनी एक से ज्यादा बार भी आईपीओ ला सकती है|

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कम्पनी द्वारा आईपीओ लाने के कारण (Reasons for the Company to launch IPO)

किसी भी कम्पनी द्वारा आईपीओ लाने के कारण इस प्रकार है-

कम्पनी की प्रोग्रेस के लिए (FOR EXPANSION)

जब किसी कम्पनी को यह लगता है कि वह निरंतर प्रोग्रेस कर रही है और अब उसे और अधिक विस्तार की आवश्यकता है अथवा कम्पनी दूसरे अन्य शहरों में विस्तार करना चाहती है और इसके लिए उसे धन की आवश्यकता है, ऐसी स्थिति में कंपनी आईपीओ जारी करती है| कम्पनी बैंक से ऋण भी ले सकती है, परन्तु कम्पनी को बैंक द्वारा ऋण के रूप में ली गयी राशि एक एक निश्चित समय पर निश्चित ब्याज के साथ वापस करना होता है|  जबकि यदि कंपनी आईपीओ के माध्यम से फंड एकत्र करती है तो उसे किसी को न तो वह पैसा लौटाना पड़ता है और न ही किसी तरह का ब्याज देना पड़ता है|

यदि हम आईपीओ खरीदने वाले लोगों के लाभ की बात करे तो जो भी निवेशक आईपीओ में निवेश करते हैं उन्हें उस खरीदे गए आईपीओ के बदले में कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी मिलती है| उदाहरण के लिए यदि किसी कंपनी ने कुछ शेयर आईपीओ के लिए निकाले हैं और आपने उन शेयर्स का 5 प्रतिशत हिस्सा क्रय किया है, तो आप उस कंपनी के 5 प्रतिशत हिस्से के मालिक होते हैं| इस तरह से आईपीओ से कंपनी और इनवेस्टर दोनों को लाभ होता है|

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कर्ज कम करने लिए (To Reduce Debt)

कभी-कभी ऐसी स्थित हो जाती है कि कम्पनियां ज्यादा कर्ज में आ जाती है, ऐसी स्थिति में भी कंपनी आईपीओ जारी करती है| ऐसे में कोई कंपनी किसी बैंक से लोन लेकर कर्ज चुकानें की अपेक्षा यह बेहतर है कि कंपनी के कुछ शेयर बेच दिए जाए और कर्ज का भुगतान कर दिया जाये| इससे कंपनी का कर्ज समाप्त होनें के साथ ही कम्पनी को नए निवेशक भी मिल जाते है| इससे निवेशक को कंपनी में कुछ हिस्से का मालिक बनने का अवसर भी मिल जाता है|

किसी सर्विस या नए प्रोडक्ट की लॉंचिंग के लिए (For launching a New Service or Product)

जब कोई कम्पनी किसी प्रकार की नई सर्विस या किसी नये प्रोडक्ट्स को लांच करती है, तो कंपनी चाहती कि उस सर्विस या प्रोडक्ट्स का ज्यादा से ज्यादा प्रोमोशन हो और वह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, इसलिए कंपनी आईपीओ या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) जारी करती है|

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आईपीओ के प्रकार (TYPES OF IPO)

यदि आप आईपीओ में निवेश करना चाहते है तो आईपीओ के प्रकार के बारें में जानकारी होना आवश्यक है| मुख्य रूप से आईपीओ दो प्रकार के होते है-

1.फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE IPO)

जब कोई भी कम्पनी आईपीओ जारी करने वाली होती है, तो वह कम्पनी आईपीओ जारी करने से पहले इनवेस्टमेंट करनें वाली बैंक के साथ मिलकर आईपीओ के प्राईस के बारे में विचार विमर्श करती है और आईपीओ का प्राईस का निर्धारण करती है| प्राईस का निर्धारण होनें के बाद कोई भी इनवेस्टर उस फिक्स प्राईस पर ही आईपीओ को सबस्क्राईब कर सकते हैं अर्थात आप केवल उसी प्राइस पर आईपीओ खरीद सकते हैं जो प्राईस निर्धारित किए गए है|

2.बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO)

इसमें इनवेस्टमेंट बैंक और कम्पनी दोनों एक साथ मिलकर आईपीओ का एक प्राईस बैंड का निर्धारण करती है, आईपीओ के प्राईस बैंड का निर्धारण होनें के पश्चात इसे जारी किया जाता है| निर्धारित प्राईस बैंड में से इनवेस्टर अपनी बिड सबस्क्राईब करते हैं|

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आईपीओ में निवेश कैसे करे  (How to invest in IPO)

कोई भी निवेशक आईपीओ में बड़ी आसानी से शेयर ख़रीद सकता है। इसके लिए कम्पनी  निवेशक को ऑफलाइन और ऑनलाइन माध्यम से शेयर खरीदनें का विकल्प देती है, हालाँकि ज्यादातर कम्पनियां आईपीओ के लिए ऑफलाइन में ही शेयर को ऑफ़र् करती है। इसका मतलब यह है कि आईपीओ में सिर्फ एक ब्रोकर के माध्यम से शेयर ख़रीद सकते है।  आईपीओ में शेयर खरीदने के लिए आपको ब्रोकर से एक आईपीओ फॉर्म लेना होगा और उसे भरकर ब्रोकर को देना होता है।

ऐसी कम्पनियां जो आईपीओ जारी करती है, वह निवेशकों के लिए  3-10 दिनों के लिए ओपन करती है| इसका मतलब यह है कि कोई भी निवेशक शेयर 3 से 10 दिनों के अन्दर ही खरीद सकता है| निवेशकों के लिए शेयर खरीदनें की अवधि कम या अधिक भी हो सकती है|  निवेशक को निश्चित दिनों के अन्दर ऑनलाइन या ब्रोकर के माध्यम से आईपीओ में इनवेस्ट कर सकते हैं|

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अलॉटमेंट प्रोसेस (Allotment Process)

कम्पनी द्वारा निवेशकों के लिए दिया गया निर्धारित समय पूरा होनें के पश्चात कंपनी सभी निवेशको को आईपीओ का आवंटन करती है| इनवेस्टर्स को आईपीओ अलॉट होने के बाद शेयर स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाते हैं|  जब तक शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं हो जाते तब तक आप उन्हें सेल नहीं कर सकते|  स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद शेयर सेकेंड्री मार्केट में खरीदे और बेचे जाते हैं| एक बार जब स्टॉक मार्केट में शेयर लिस्ट हो जाते हैं तो पैसा और शेयर यह दोनों निवेशक के बीच एक्सचेंज होते रहते हैं|

रेड हैरिंग प्रोस्पेक्टस (Red Herring Prospectus)

जब कोई कम्पनी आईपीओ लाने का विचार करती है अथवा योजना बनाती है, तो उस कम्पनी को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया अर्थात सेबी (SEBI) के नियमों का पालन करना होता है| कम्पनी को आईपीओ लाने के कारणों से लेकर हर छोटी बड़ी बात से सेबी को अवगत कराना होता है, इसके लिए कम्पनी सेबी को एक रेड हैरिंग प्रोस्पेक्टेस देती है| इस रेड हैरिंग प्रोस्पेक्सटस में कंपनी की यह बातें शामिल होती है, जो इस प्रकार है-

  • बिज़नेस डिलेट (Business Details)
  • रिस्क फैक्टर (Risk Factor)
  • कैपिटल स्ट्रकचर (Capital Structure)
  • रिस्क स्ट्रैटेजी (Risk Strategy)
  • पास्ट फाईनैंशियल डेटा (Past Financial Data)
  • प्रोमोटर्स एंड मैनेजमेंट (Promoters & Management)

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निवेश करनें से पहले इन बातों का रखे ध्यान (Keep these things in mind before investing)

जब कोई कम्पनी मार्केट में आईपीओ लाती है और आप उस आईपीओ में शेयर खरीद कर अच्छा पैसा कमाना चाहते है तो आपको यहाँ सावधानी बरतनी चाहिए| कोई आईपीओ खरीदने से पहले उस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनें के साथ ही दूसरी कंपनी के आईपीओ से तुलना करना अति आवश्यक है| कम्पनी के साथ-साथ ब्रोकर के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए, कहनें का आशय यह है कि ब्रोकर अच्छा होना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि आईपीओ के बारे में लोगो को अधिक जानकारी नही होती है, जिस कारण उन्हें काफी हानि उठानी पड़ती है| इसलिए आईपीओ खरीदने से पहले कंपनी और ब्रोकर के बारे में पूरी जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें ताकि भविष्य में आपको किसी भी प्रकार का नुकसान ना उठाना पड़े।

वैसे तो आईपीओ में निवेश करना काफी जोखिम भरा निवेश माना गया है, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इसमें कंपनी की शेयरों के प्रगति के सम्बंधित कोई भी आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है| फिर भी जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए आईपीओ एक बेहतर विकल्प है। अगर आपको शेयर बाजार में भविष्य बनाना है तो आपको आईपीओ की जानकारी होनी ही चाहिए।

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