किसी भी देश में लोगों को किसी सूंचना को पहुचाने के लिए मीडिया महत्वपूर्ण साधन है | भारत के साथ किसी भी देश के लिए मीडिया महत्वपूर्ण अंग होती है | मीडिया देश में वर्तमान में हो रहे कार्यों या फिर सरकार द्वारा जारी योजनाओं तथा देश में हो रही दुर्घटनाओं का प्रसारण करती है, और लोगों तक उसके बारे में सही जानकारी पहुँचाती है | देश में खेल, चल रही राजनीति, देश और विदेश की खबरे, फाइनेंस से सम्बंधित, मनोरंजन की न्यूज़ तथा अन्य कोई भी मुद्दे देश में आतंरिक और बाहरी सभी मामलों सभी की जानकारी देश के नागरिकों को मीडिया के द्वारा प्राप्त होती है |

भारत में मीडिया को देश का चौथा स्तम्भ माना जाता है | लेकिन वर्तामान समय में बहुत सी न्यूज़ संस्थाएं सत्ता, सरकार या राजनीतिक दलों या फिर अन्य कारणों से सही न्यूज़ प्रसारित नहीं करती और देश के नागरिकों को भटकाने का कार्य करती है | इस दशा में न्यूज़ चैनल सत्ता या किसी अन्य पार्टी के दबाव में मन मुताबिक न्यूज़ प्रसारित होने की प्रक्रिया को देश में गोदी मीडिया का नाम दिया है | यदि आप भी जानना चाहते है, कि गोदी मीडिया का अर्थ क्या है (Godi Media Meaning in Hindi) ? को विस्तार से आपसे साझा कर रहे है |
गोदी मीडिया का अर्थ क्या है (Godi Media Meaning in Hindi)
गोदी मीडिया का सीधा अर्थ बिकाऊ मीडिया से है, जो सरकार के निर्देशों पर चलती है, जो सरकार की नाकामियों को छिपाने का कार्य करती है, और देश के नागरिकों को सही मुद्दों से अवगत नहीं कराती है | इसका उदहारण गोदी से देखा जाये तो बच्चे को गोदी में बिठाने से होता है, बच्चा गोदी में आ जाने के बाद आपके कहने से चलता है, यदि दूसरा कोई उसके सामने कोई चोकलेट या फिर खिलौना लेकर आ जाता है, तो लालच-वश बच्चा दूसरे की गोद में पहुँच जाता है | इसी की तुलना मीडिया के लालच को दिखाया गया है, और मीडिया को गोदी मीडिया (Godi Media) का नाम दिया गया है |
गोदी मीडिया शब्द की शुरुआत
गोदी मीडिया शब्द की शुरुआत एनडीटीवीन्यूज़ (NDTV News) के प्रसिद्द पत्रकार (News Editor) रवीश कुमार द्वारा पहली बार बोला गया एक निंदात्मक और प्रचलित शब्द है। इसकी रवीश जी ने शुरुआत भाजपा (BJP )सरकार आने के बाद की | इसके अलावा अभी हाल ही में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship (Amendment) Act, 2019) के दौरान तथा 2020– 2021 के दौरान भारतीय किसानों के धरना देने के समय गोदी मीडिया शब्द खूब चर्चा में रहा था | रवीश कुमार जी के मुताबिक, यह शब्द सनसनीखेज इंडियन प्रिंट मीडिया तथा टीवी समाचार मीडिया (TV News Media) को दर्शाता है, जिसका सीधा अर्थ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नेतृत्व में है।
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गोदी मीडिया लिस्ट (Godi Media List)
विपक्ष और सरकार विरोधी लोगों काआरोप है कि ईमानदारी से पत्रकारिता का अभ्यास करने के बजाय, गोदी मीडिया फर्जी खबरे और सरकार की वाह – वाही वाली खबरे अर्थात सरकार के तारीफों के पुल बांधने वाली खबरों को चलाते हैं, और सरकार की नाकामियों वाली खबरों को नहीं दिखाते है | सरकार विरोधी लोगों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व की केंद्र और राज्य सरकारों का खुले रूप से समर्थन करता है, तथा इन मीडिया के मालिक भी कॉर्पोरेट घराने के है। आरोप लगाई जाने वाली टीवी और समाचार चैनल (News Channal) जिन्हें गोदी मीडिया (Godi Media) का नाम दिया है, उनके नाम इस प्रकार है:-
- ज़ी न्यूज़ (Zee News),
- टाइम्स नाउ (Times Now),
- रिपब्लिक टीवी भारत (Republic TV Bharat),
- रिपब्लिक टीवी (Republic TV),
- इंडिया टुडे (India Today),
- आज तक (AajTak),
- एबीपी न्यूज़ (ABP News),
- सुदर्शन न्यूज़ (Sudarshan News),
- सीएनएन-न्यूज़ 18, (CNG – News 18)
- इंडिया टीवी (India TV)
शीर्ष गोदी मीडिया एंकर
एंकर का नाम | समाचार चैनल | विवरण |
---|---|---|
अर्नब गोस्वामी | रिपब्लिक टीवी | आक्रामक शैली, सरकार समर्थक रुख |
-सुधीर चौधरी | आजतक | पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और सरकारी आख्यान को बढ़ावा देने का आरोप लगाया |
राहुल शिवशंकर | टाइम्स नाउ | सरकारी लाइन का पालन करने का आरोप |
नविका कुमार | टाइम्स नाउ | सरकार के कथन के समर्थन में साक्षात्कार और चर्चाएँ आयोजित करता है |
अंजना ओम कश्यप | आजतक | पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और गोदी मीडिया से जुड़ाव का आरोप |
अमीश देवगन | न्यूज18 इंडिया | सरकार समर्थक आख्यानों को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं |
रजत शर्मा | इंडिया टीवी | पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और सत्तारूढ़ दल की ओर झुकाव के लिए आलोचना की गई |
रुबिका लियाकत | ABP न्यूज़ | सरकार के एजेंडे का पक्ष लेने का आरोप लगाया |
आनंद नरसिम्हन | न्यूज18 इंडिया | अक्सर सरकार की लाइन पर चलने का आरोप लगाया जाता है |
विदेशी मीडिया एक्सपर्ट्स का भारतीय मीडिया पर कथन
लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (Landon School Of Economics) की एक मीडिया प्राध्यापक (Media Expert) शकुंतला बणाजी ने भारतीय मीडिया की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए बताया कि “पिछले छह वर्षों में, भारतीय मीडिया की हालत बहुत खराब हो गयी है,” इसके अलावा बताया कि “इन मीडिया चैनेलों की रिपोर्टों में सच्चाई या ज़िम्मेदारी की कोई झलक नहीं है।”