FPI Kya Hai – एफपीआई क्या है? विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की जानकारी

FPI Kya Hai आज हम आपको एफपीआई के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे देश भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, यही कारण है कि भारत में बहुत सारी विदेशी कंपनियां उच्च स्तर पर कारोबार कर रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विदेशी कंपनियों को भारत में स्थापित करने के लिए सरकार की कुछ शर्तों और नियमों का पालन करना पड़ता है.

जिसके बाद उन्हें अपना व्यवसाय स्थापित करने की अनुमति मिलती है। उदाहरण के लिए, अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट, वॉलमार्ट आदि। ये सभी विदेशी कंपनियां हैं जो भारत में अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए निवेश करती हैं। आज हम आपको इस FPI Kya Hai लेख के माध्यम से एफपीआई से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी बताएंगे।

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FPI Kya Hai

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ) की बजाय, आप विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) को बता सकते हैं। इसके बाद, आप अंग्रेजी शब्द “Foreign Portfolio Investment” को हिंदी में “विदेशी पोर्टफोलियो निवेश” के रूप में बदल सकते हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश यहाँ पर किया गया है क्योंकि इससे बाहरी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं। इसके अलावा, आप इस जानकारी के एक वाक्य में व्याख्या कर सकते हैं, जैसे कि: “विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) का मतलब होता है विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में निवेश किया जाना।

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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)

जब कोई विदेशी व्यक्ति या कंपनी FDI का 10% से अधिक हिस्सा खरीदता है, तो वह “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश” के अंतर्गत आता है। इसमें धन सर्जन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि निवेशक अपने नुकसान और लाभ को देखते हुए कभी भी अपनी कंपनी के शेयर या बोंड बेचकर निवेश से निकल सकता है। एफडीआई निवेशक अपने व्यवसाय के लिए मशीनरी और पौधों जैसी उत्पादक संपत्तियों में निवेश करते हैं। उन्हें विदेशी संस्थागत निवेश के रूप में देश के बांड, म्यूचुअल फंड, और स्टॉक्स जैसी वित्तीय प्रोपर्टियों में भी अपना पैसा लगाने का मौका मिलता है। एफडीआई निवेशक दो तरीकों से नियंत्रित पदों को लेते हैं: या तो संयुक्त उद्यमों के माध्यम से या घरेलू फर्मों में.

उदाहरण के रूप में, निवेशक कई तरीकों से FPI कर सकते हैं, जैसे कि किसी अन्य देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना, एक मौजूदा विदेशी कंपनी के साथ अधिग्रहण या विलय, एक विदेशी कंपनी के साथ एक संयुक्त उद्यम साझेदारी शुरू करना, आदि।

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई)

जब कोई विदेशी व्यक्ति या कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड इंडियन कंपनी के शेयर खरीदती है, लेकिन उसकी हिस्सेदारी 10% से कम होती है, तो उसे एसबीआई (FPI) कहा जाता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शेयर और बोंड के रूप में होता है। एफपीआई (FPI) निवेशक अपने निवेश में अधिक निष्क्रिय स्थिति लेते हैं और इसलिए उन्हें निष्क्रिय निवेशक कहा जाता है। FPI को प्रायः “हॉट मनी” (Hot Money) कहा जाता है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था से पलायन करने की प्रवृत्ति अत्यधिक होती है। इसमें शामिल वित्तीय उत्पादों के उदाहरण हो सकते हैं, जैसे कि स्टॉक, बॉण्ड, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, अमेरिकन डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (एडीआर), ग्लोबल डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (जीडीआर) आदि।

(FPI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से लाभ

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के कारण लगभग 11.36% की वृद्धि हुई है, जिससे संसद में भारतीय निवेश के कारण आने वाली समस्याओं का सामना करने के लिए सरकार के पास भरपूर विदेशी मुद्रा की पूर्ति होगी।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के कारण शेयरधारकों के कर्तव्यों की रक्षा के साथ-साथ व्यापार करने में भी आसानी होती है। इसके साथ ही, निजी बैंकों, फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भी विदेशी प्रवाह देखा गया है, क्योंकि इन भारतीय कंपनियों ने लॉकडाउन प्रतिबंधों के हटने के बाद तेज़ी से वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 2020 में फार्मा क्षेत्र एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा और इस क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
  • संभावित गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट आई है, लेकिन FPI द्वारा की गई मांग से बैंकिंग शेयरों में फिर से वृद्धि हुई है।

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अब तक किया गया एफपीआई निवेश आंकड़ा

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा अब तक भारतीय बाजारों में कितना धन निवेश हुआ है, इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े हैं। नवंबर माह में लगभग 35,109 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था, जिसमें कंपनियों की अच्छी ग्रोथ देखी गई।
  • डिपोजिटरीज के अनुसार, 2 से 13 नवंबर के दौरान विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 29,436 करोड़ रुपये और डेट बाजार में 5,673 करोड़ रुपये का निवेश किया। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने 22,033 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी।
  • इस तरह, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2020 में भारतीय शेयर बाजारों में 1.4 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया था, जो उनके निवेश का सबसे ऊंचा स्तर रहा। हाइब्रिड प्रतिभूतियों में भी एफपीआई ने शुद्ध रूप से 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
  • एफडीआई हासिल करने के मामले में भारत 20 वर्षों में पहली बार चीन से आगे निकल गया। यह आंकड़े दिखाते हैं कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजारों में सक्रिय रूप से निवेश किया है और इसे एक महत्वपूर्ण निवेश स्थल के रूप में देखा जा रहा है।