मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) परिभाषा
भ्रष्टाचार को समाप्त करनें के लिए सरकार द्वारा अथक प्रयास जारी है, परन्तु अक्सर हमें भ्रष्टाचार के कारण मनी लॉन्ड्रिंग करनें वाले लोगो के बारें में सुनने को मिलता है, जिसके कई प्रमाण भी उपलब्ध है, जैसे- पीएनबी स्कैम, संदेसरा ब्रदर्स स्कैम, कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम और 2 जी स्कैम आदि | मनी लॉन्ड्रिंग के कारण भारत को आर्थिक रूप से एक बड़ी हानि का सामना करना पड़ता है|
मनी लॉन्ड्रिंग का अर्थ कालेधन को सफेद करना होता है, हालाँकि भारतीय कानून के अंतर्गत यह एक अपराध है, और इसके लिए सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है| इसके साथ ही दोषी व्यक्ति की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है| मनी लॉन्ड्रिंग क्या है, इसकी परिभाषा और भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग के लिए बनाये गये कानून के बारें में आपको इस लेख के माध्यम से जानकारी दे रहे है |
मनी लॉन्ड्रिंग शब्द कहाँ से आया
मनी लॉन्ड्रिंग’ शब्द की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका में माफिया समूह से उत्पन्न हुई | अमेरिका में माफिया अन्य लोगों से जबरन वसूली करते और अवैध तरीके से जुआ, स्मगलिंग के माध्यम से अर्थात अवैध तरीके धन को एकत्र करते थे, और सरकार के समक्ष उसी धन को वैध तरीके से पेश करते थे | इस प्रकार अवैध तरीके से एकत्र किये गये धन को वैध तरीके से प्रस्तुत करना मनी लॉन्ड्रिंग करना कहा जाता है |
मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा
अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाना मनी लॉन्ड्रिंग कहलाता है| मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाने का एक तरीका है। मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से धन को ऐसे कार्यों के निवेश में लगाया जाता है, कि जाँच करने वाली एजेंसियां भी धन के मुख्य सोर्स का पता लगानें में असमर्थ होती है| जो व्यक्ति इस प्रकार से अपने अवैध धन को वैध करता है उसे ‘लाउन्डरर’ (The Launderer) कहा जाता है |
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मनी लॉन्ड्रिंग के चरण
मनी लॉन्ड्रिंग के मुख्यतः तीन चरण होते है |
1. प्लेसमेंट (Placement)
2. लेयरिंग (Layering)
3. एकीकरण (Integration)
प्लेसमेंट (Placement)
प्लेसमेंट मनी लॉन्ड्रिंग का पहला चरण है, इस चरण के अंतर्गत लाउन्डरर अवैध तरीके से अर्जित किये गये धन को वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों या अन्य प्रकार के औपचारिक या अनौपचारिक वित्तीय संस्थानों में नकद जमा करता है|
लेयरिंग (Layering)
लेयरिंग मनी लॉन्ड्रिंग का दूसरा चरण है, इस चरण के अंतर्गत लाउन्डरर लेजर में गड़बड़ी करके और अन्य संदिग्ध लेनदेन करके अपनी असली आय को छुपा लेता है| वह धनराशि को निवेश के साधनों जैसे बांड, स्टॉक, और ट्रैवेलर्स चेक या विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है| अक्सर यह खाते ऐसे देशों की बैंकों में खोले जाते है,जो कि मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अभियानों में सहयोग नही करते हैं
एकीकरण (Integration)
एकीकरण मनी लॉन्ड्रिंग का अंतिम चरण है| इस प्रकिया के माध्यम से विदेशो में भेजा पैसा या देश में खपाया गया पैसा वैध धन के रूप में वापस लाउन्डरर के पास आ जाता है| ऐसा धन अक्सर किसी कंपनी में निवेश,अचल संपत्ति खरीदने, लक्जरी सामान खरीदने आदि के माध्यम से वापस आता है|
मनी लॉन्ड्रिंग के तरीके
मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला व्यक्ति अपने धन को वैध दिखाने के लिए कई फर्जी कंपनी बनाता है, इस प्रकार की कंपनियों को शैल कंपनियां” भी कहा जाता है | इन कंपनियों की बैलेंस शीट में करोड़ो का लेन- देन दिखाया जाता है, जोकि वास्तविक रूप से होता ही नहीं है | यह इनकम टैक्स नहीं भरते है | यदि कोई इनकी जाँच करता है, तो उन्हें गलत जानकारी दी जाती है | यह कंपनी केवल कागज पर ही चलती है, वास्तविक रूप से इनका अस्तित्व नहीं होता है | अन्य तरीकों में व्यक्ति उस अवैध आय से चल- अचल संपत्ति खरीदते है, जिनकी कीमत बहुत ही कम दिखाई जाती है, जिससे टैक्स को बचाया जा सके | हाल ही में मोदी सरकार ने तीन लाख से ज्यादा शेल कंपनियों में ताला लगाया था|
पहली बार मनी लॉन्ड्रिंग शब्द का प्रयोग
1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध धन को बहुत ही बड़े स्तर में वैध रूप में परिवर्तित किया जाने लगा | इस प्रकार के धन के लिए अमेरिकी सीनेट में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ शब्द का प्रयोग किया गया |
भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग
भारत में भी अवैध धन को वैध बनाने का कार्य चोरी- छुपे होता रहता था | लेकिन 1990 के दशक में “मनी लॉन्ड्रिंग” को हवाला लेन-देन शब्द के रूप में जाना जाता है इस समय भारत में कई बड़े नेताओं के नाम हवाला लेन-देन में सामने आये जिससे मनी लॉन्ड्रिंग शब्द भारत में भी प्रचलित हो गया |
भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग के लिए कानून
भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग के लिए कानून वर्ष 2002 में बनाया गया इसे मनी-लॉन्ड्रिंग निरोध अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के नाम से पारित किया गया था | अभी तक इस अधिनियम में तीन संशोधन किये जा चुके है | यह संसोधन 2005, 2009 और 2012 में किये गए है | इस अधिनियम में अवैध लेन- देन को कानून के दायरे में लाया गया है |
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