होली कब और क्यों मनाई जाती है | होलिका दहन का शुभ मुहूर्त | होली की कहानी

होली कब और क्यों मनाई जाती है

होली भारत का एक प्रसिद्द, पारंपरिक और सांस्कृतिक हिंदू पर्व है, जिसे प्रतिवर्ष बड़े हर्षोल्लास  के साथ मनाया जाता है| होली नाम सुनते ही मन में उत्साह और रंगों की बात उठने लगती है| होली एक ऐसा त्यौहार हैं, जिसको सभी लोग बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं| चाहें वह बच्चे हो या बूढ़े होली आते ही सब हर्ष और उल्लास के साथ रंगों का त्योहार होली मनाते हैं। इस दिन सब के साथ मिल कर खुशियां मनाते हैं, इसलिए इस त्यौहार को खुशियों का त्यौहार भी कहा जाता है|

रंगों का त्योहार होली की शुरुआत कब से हुई, इसका जिक्र हमारे कई ग्रंथों में मिलता है| शुरू में इस त्योहार को पहले लोग होलाका के नाम से जानते थे | इस पवन दिन पर आर्य नवात्रैष्टि यज्ञ करते थे| आईये जानते है, होली कब और कैसे मनाई जाती है, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और होली की कहानी के बारें में |

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होली 2022 कब है (Holi 2022 Kab Hai)

दीपावली के बाद होली हिंदु भाई लोग होली को अपने सबसे प्रिय त्यौहार के रूप में मानते है | इस बार रंगों वाली होली 18 मार्च को खेली जायेगी और होलिका दहन 17 मार्च को होगा। श्री कृष्ण की नगरी मथुरा वृंदावन में तो एक सप्ताह पहले से ही इस पर्व की शुरुआत हो जाती है। जिसे देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी लोग यहां आते हैं।

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होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Muhurat)

होलिका दहन17 मार्च 2022 (गुरुवार)
होलिका दहन मुहूर्तरात्रि 9.20 से देर रात्रि 10.31 मिनट तक
रंगवाली होलीमंगलवार, 18 मार्च 2022
भद्रा मुख काल17 मार्च रात्रि 10.14 मिनट से रात्रि 12.11 मिनट तक
भद्रा पुच्छ काल17 मार्च रात्रि 9.04 मिनट से 10.14 मिनट

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होली मनानें का कारण (Holi Kyon Manayi Jati Hai)

होली का पर्व भारत में लगभग सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर भाईचारे और प्रेम के साथ मनाते हैं, साथ में गले लगकर बधाइयों के साथ गुलाल लगाते है और मिठाई खिलते है| भारत और नेपाल में यह पर्व प्रमुख रूप से मनाया जाता है, तथा अन्य देशों में भी जहां हिंदूओं की जनसंख्या कम है, वहां पर भी यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है| हमारे देश में जितने भी व्रत और त्योहार होते हैं,उनका कहीं ना कहीं पौराणिक और सच्ची कथाओं से सम्बन्ध होता है, उसी तरह यह रंगों का त्योहार होली के पीछे अनेको कहानियां प्रचलित है|

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होली की कहानी (Holi Story in Hindi)

यह कहानी एक छोटे से बालक प्रहलाद से जुड़ी हुई है | प्रहलाद को भगवान् अर्थात ईश्वर में बहुत ही आस्था और निष्ठा थी | प्रहलाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप था, जो एक राजा थे| हिरण्यकश्यप बहुत ही दुष्ट प्रवत्ति का होनें के साथ ही वह बहुत बड़ा नास्तिक भी था|

हिरण्यकश्यप भगवान को नहीं मानते थे,वह स्वयं को सबसे बड़ा समझता था|जब हिरण्यकश्यपको यह पता चला कि उनका बेटा किसी विष्णु नाम के देवता का पूजा करता है, तो उसनें अपने बेटे को विष्णु की पूजा करने से रोका, और उसे बहुत बार समझाया कि विष्णु की पूजा करना छोड़ दो,परन्तु भक्त प्रहलाद नें अपनी भक्ति नहीं छोड़ी, क्योंकि उनके शरीर और मन में भगवान विष्णु समाए हुए थे, उन्होंने अपने पिताजी की बात बिल्कुल नहीं मानी|

हिरण्यकश्यपइस बात से आहत होकर अपने बेटे को सबक सिखाना चाहते थे, जब सभी नामुमकिन कोशिश करने के बाद भी हिरण्यकश्यप प्रहलाद को विष्णु की पूजा करने से नहीं रोक पाए, तो उसने सोचा प्रह्लाद को मार दिया जाए| उसने एक दिन प्रह्लाद का वध करने हेतु अपनी बहन होलिका की सहायता ली|

होलिका को भगवान शिव के द्वारा वरदान प्राप्त था, कि अग्नि कभी उसे जला नहीं सकती थी। होलिका प्रहलाद को अपने गोद में बैठा कर अग्नि पर बैठ गई,परन्तु प्रहलाद की जगह होलिका ही जल गई। इस प्रकार हिरण्यकश्यप को सफलता नहीं मिली|

इस प्रकार होलिका दहन के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत हुई, और भगवान विष्णु जी ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया| इसलिए होली का त्यौहार होलिका के मौत से जुड़ा हुआ है| इसी कारण होली दहन के 1 दिन बाद यह पर्व मनाया जाता है | होलिका दहन की यह रीति बहुत ही प्राचीन समय से चलती आ रही है।

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होलिका दहन का वैज्ञानिक महत्त्व क्या है (Scientific Importance Of Holika Dahan)

आप सभी को मालूम है, कि होली का आगमन उस समय उस समय होता है, जब बहुत तेज़ी से मौसम में बदलाव हो रहा होता है,जिसके कारण अनेक प्रकार के बैक्टीरिया, कीटाणु जो वातावरण को दूषित करते हैं| होलिका दहन की आग से उस क्षेत्र के आस-पास के बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं,जिसके कारण कई की बीमारियों से हमारा बचाव होता है|

होलिका दहन में एक रिवाज है, कि लोग अग्नि की चारों तरफ से परिक्रमा करते हैं, और इसी परिक्रमा के समय लोगों के शरीर का तापमान भी 40-50 डिग्री पार कर जाता है क्योंकि आग के पास जाने से आग का ताप हमें भी महसूस होता है| फिर यही होलिका अग्नि की ताप  बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का नाश करने में सहायता प्रदान करटी है|

जब भी मौसम बदलने वाला होता है, तभी से लोग इन त्योहारों की तयारी के साथ घरों की साफ़ – सफाई आरंभ कर देते है, और बैक्टीरिया (Bacteria) भी इसी में समाप्त हो जाते है|

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