Mirch ki kheti Kaise Kare – आज के लेख के तहत हम अपने पाठकों को मिर्ची की खेती से जुड़े सभी महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। यदि आप उत्तर प्रदेश में मिर्ची खेती करने के इच्छुक हैं। तो अगस्त के महीने में किसी अच्छी हाइब्रिड मिर्च के बीज की नर्सरी डाल सकते हैं। जो कि लगभग 35 दिनों बाद तैयार हो जाएगी। यदि आप खेती करने में रुचि रखते हैं और खासकर मिर्च की खेती करना चाहते हैं। तो हमारा आपसे अनुरोध है ,कि आप अवश्य पढ़ें और मिर्च की खेती से लाभ प्राप्त कर सकते है।

Mirch ki kheti Kaise Kare
दोस्तों यदि आप भी मिर्च की खेती करने में रुचि रखते हैं। तो चलिए जान लेते हैं Chili Farming in Hindi करने से कुछ महत्वपूर्ण चीजों के बारे में मिर्ची खेती के लिए गर्म और जलवायु अच्छा माना जाता है। यदि आप उत्तर प्रदेश की निवासी है और उत्तर प्रदेश में ही मिर्ची की खेती करना चाहते हैं। तो इसके लिए अगस्त का महीना काफी अच्छा है। Mirch ki kheti Kaise Kare किसी अच्छे हाइब्रिड मिर्च के बीच के नर्सरी डालते है। जो कि लगभग 35 दिन बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाएगी।इसकी खेती नकदी फसल के रूप की जाती है। यदि आपकी खेती अच्छी रहती है। तो आप काफी मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।
हाइब्रिड मिर्च का बीज कौन सा है
जैसा कि आप सब भी जानते होंगे कि मिर्ची की खेती में विभिन्न प्रकार के रोग एवं कीट लगते हैं। अतः किसान भाई तो रोक रोधी हाइब्रिड मिर्ची के बीजों की खेती करते हैं और उन्हें करनी भी चाहिए। जैसे अर्का मेघना, सेमिनिस, नामधारी मिर्च के बीज, पूसा, लकी आदि मिस की हाइब्रिड प्रजातियां आपको आसानी से मिल जाएगी। परंतु अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग प्रजातियां अनुकूल होती है। इस कारण किसान भाइयों को चाहे कि अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही बीजो का चयन करें।
मिर्च की नर्सरी कब तैयार करें
आपको बता दें, कि सर्दी के महीने मिर्च की खेती के लिए काफी अनुकूल माना जाता है। इस कारण किसानों को अगस्त के महीने में मिर्च की नर्सरी को डाल देना चाहिए। नर्सरी में भी मिट्टी में उपस्थित कीट पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए इनसे बचने के लिए नर्सरी में बीज डालने से पहले मिट्टी में दानेदार 4G कीटनाशक मिलाना जरूरी है। इसके साथ ही जब पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाए तब नर्सरी में तब पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाए। तब नर्सरी में पानी डालकर बंद कर देना चाहिए। इससे पौधे मजबूत और रोपाई के बाद पौधे मरते नहीं है।
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मिर्च का पौधा कब लगाना चाहिए
आप सितंबर से लेकर 15 अक्टूबर तक मिर्च का पौधा मुख्य खेत में लगा सकते हैं। इसके साथ ही यह महीना मिर्च की खेती के लिए बहुत ही ज्यादा अनुकूल होता है। इस समय पौधे की रोपाई मुख्य खेतों में करने से पौधों का विकास बहुत तेजी से होता है। इसका कारण यह है, कि इस समय तापमान बहुत ही अच्छा होता है। कुछ किसान भाई जुलाई और अगस्त में ही पौधे खेत में लगा देते हैं। तो अधिक तापमान और बारिश के कारण पौधों में गुर्चा रोग लग जाता है। जिससे पौधों का विकास रुक जाता है। इस कारण किसान भाइयों को मिर्च का पौधा अनुकूल मौसम में ही लगाना चाहिए।
मिर्च का पौधा कितने दिन में तैयार होता है
नर्सरी में बीज बुवाई के 35 दिन के पश्चात पौधे मुख्य खेत में लगाने के लायक हो जाते हैं। इसके साथ ही पौधे लगाने के 60 दिन बाद पौधों से मिर्ची की चौड़ाई होनी शुरू हो जाती है। जिससे किसानों की कमाई आरंभ हो जाती है। लगभग 5 महीने तक मिर्च की चौड़ाई होती है और किसान भाई अच्छा अर्जित कर लेते हैं।
मिर्च के पौधे में कौन सा खाद डालें?
पौधों को स्वस्थ रखने हेतु तथा अधिक उपज लेने के लिए मिर्च की खेती में संतुलित मात्रा में खाद देना भी बहुत ज्यादा जरूरी है। अतः खेत की अंतिम विदाई के वक्त मुख्य खेत में अच्छी साड़ी गोबर की खाद या मूर्तियों की खाद डालकर मिट्टी को भुरभुरी बना दिया जाए। तो फिर पौधा लगाने के 20 दिन बाद प्रति पौधा 25 ग्राम टैब पौधों के चारों और देकर खुरपी से हल्की मिट्टी लगा देनी चाहिए। उसके चरणों का विकास काफी अच्छा होता है।
इसके पश्चात पौधा लगाने के 50 दिन बाद जब पौधे थोड़े बड़े हो जाए। तब हर पौधे को 100 ग्राम और 25 ग्राम पोटाश पौधों के चारों ओर देकर फावड़े से मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए। मिट्टी से पौधों को हाथ की सहायता से तब देना चाहिए। इससे हवा से पौधे गिरने न सकेंगे।
मिर्च की खेती में लगने वाले रोग
आपको बता दे की मिर्च की खेती में विभिन्न प्रकार रोग लगते है। यदि समय रहते ही इनकी निगरानी ना की जाए। तो बहुत नुकसान हो सकता है। आपको चाहिए कि आप लोग और कीटों से पौधों को बचाएं मिर्च में कौन सी दवा डालनी चाहिए तथा पौधे सदा हरे भरे रहें इसके लिए मिर्च के पौधों की देखभाल की जानकारी इस प्रकार है।
गुरचा रोग- जिस तरह से बैंगन की खेती में छोटी पत्ती रोग एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इस प्रकार ही मिर्ची की खेती में भी गुर्जरों की एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। विभिन्न राज्यों में किसान मिर्ची के लिए इस रोग को को कुकड़ा या चुरड़ा-मुरड़ा रोग से भी जानते है जब यह रोग लगता है। तो इससे पत्तियां ऊपर की ओर मुड़कर गुच्छे नुमा हो जाती हैं और पौधों का विकास रोक देती है। यह रोग बीमारी मक्खी, थ्रिप्स व माइट के कारण होती है।
सफ़ेद मक्खी का उपचार- थ्रिप्स प्रकार यह भी बहुत छोटे आकार के होते हैं। पौधों से कोमल पत्तियों के रस को चोदने का काम करते हैं। इसके होने से भी कुछ गुरचा रोग लगने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इससे मिर्च की फसल को बचाने के लिए इमिड़ाक्लोरोपिड 1ml प्रति 15लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल पर स्प्रे करना चाहिए। जिससे की खेती को इस रोग से बचाया जा सकता है।
थ्रिप्स का उपचार-थ्रिप्स एक बहुत ही छोटे कीट होते हैं। जो पत्तियों से रस को छोड़कर शक्ति बढ़ा देते हैं। इनकी रोकथाम के लिए आपको AK-57 कीटनाशक 1.5ml प्रति पंप घोल तैयार करके फसल पर छिड़कना चाहिए।
तना सड़न रोग- सर्दियों के मौसम में जब अधिक ठंड या खोरा होता है। तब यह रोग देखने को मिलता है। मिर्च के ऊपर की शाखाएँ और पत्तियां सड़ने लगती हैं। समय के साथ-फलियाँ भी सड़ने लगती हैं।
उपचार–इस रोग से बचने के लिए मिर्च की फसल में फफुन्दनाशक दवा का स्प्रे करना चाहिए।
माइट के उपचार-यह लाल रंग के एक छोटे कीट होते हैं। जो बहुत ही ध्यान से देखने पर ही दिखाई देते हैं। कोमल पत्तियों और कोमल शाखाओं से रिड्यूस कर पौधों को कमजोर बनाने में सक्षम होते हैं। इसकी रोकथाम के लिए आपको को माय डियर सुपर सोनाटा 1.5 ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कना चाहिए।