कार्तिक पूर्णिमा कब है | कार्तिक पूर्णिमा क्यों प्रसिद्ध है | Kartik Purnima in Hindi | कहानी

कार्तिक पूर्णिमा को एक पर्व रूप में मनाया जाता है, क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है | इसके साथ ही बहुत से लोग ऐसे होते है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के लिए जाते है और वहां पर वह गंगा स्नान करके कुछ चीजों का दान भी करते है |

कार्तिक मॉस की पूर्णिमा तिथि को शाम के समय गंगा माता के सामने दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है | इसलिए यदि आपको कार्तिक पूर्णिमा कब है | कार्तिक पूर्णिमा क्यों प्रसिद्ध है | Kartik Purnima in Hindi | कहानी के बारे में पूरी जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके बारे जानना चाहते है, तो इस लेख में आपको इससे सम्बंधित पूरी जानकारी प्रदान की गई है |

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कार्तिक पूर्णिमा कब है (When is Kartik Purnima) 

वर्ष 2022 में इस साल कार्तिक पूर्णिमा 8 नवम्बर दिन मंगलवार को मनाई जायेगी | प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को ही पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है | कार्तिक पूर्णिमा के दिन अधिकतर लोग गंगा स्नान के लिए जाते है और वह वंहा पर दान यज्ञ और शाम के समय गंगा माता को दीप प्रज्वलित करते है | माना जाता है  कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार में जन्म लिया था और साथ ही में कहा जाता है, जो लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने के लिए जाते है , उन्हें पूरे साल का  फल एक ही दिन में प्राप्त हो जाता है | 

 कार्तिक पूर्णिमा क्यों प्रसिद्ध है (Kartik Purnima in Hindi)

कार्तिक पूर्णिमा के दिन को एक पर्व की तरह पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते है | कार्तिक पूर्णिमा प्रमुख रूप से गंगा स्नान के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि माना जाता है, कि इस दिन गंगा स्नान करने वाले लोगों के सभी पाप गंगा माता में धुल जाते है | इसके साथ ही कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो अच्छे फल की प्राप्ति के लिए कार्तिक माह के पूरे दिन सुबह  4 बजे उठाकर ही स्नान करते है | ऐसा करने वाले लोगों को भी स्नान का एक अच्छा फल प्राप्त होता है | इसलिये कार्तिक पूर्णिमा का यह पर्व लगभग हर जगह प्रसिद्ध है और इस दिन को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है |  इसके अलावा कई लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन उपवास रखते है और अपने-अपने घरों में विधिपूर्वक पूजा करते है, ताकि उन पर विष्णु भगवान की कृपा सदैव बनी रहे |

कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima 2022 Shubh Muhurat)

इस साल उदयातिथि के मुताबिक , कार्तिक पूर्णिमा 08 नवंबर दिन मंगलवार को पड़ रही है ,लेकिन 07 नवंबर की शाम 04 बजकर 15 मिनट से ही कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो जायेगी  | इसके बाद  08 नवंबर की शाम 04 बजकर 31 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा |

कार्तिक पूर्णिमा से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी ( Important News for Kartik Purnima ) 

  • कार्तिक पूर्णिमा के अपने घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए |  
  • इस दिन अपने घरों को फूल – माला से सजाना चाहिए | 
  • इस दिन घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह बनाना बेहद शुभ माना जाता है |
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है | 
  • इस दिन चावल, चीनी और दूध का दान करना शुभ होता है | 
  • कार्तिक पूर्णिमा को यदि आप गंगा स्नान के लिए जाते है, तो आप गंगा जी में थोड़ी सी मात्रा में चावल, चीनी और दूध को प्रवाहित कर सकते है | 
  • इस दिन घर में दीप जलाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से घर की सभी सस्याओं का निवारण हो जाता है |

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कार्तिक पूर्णिमा पूजन विधि (Kartik Purnima 2022 Pujan Vidhi)

  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल उठकर पहले व्रत करने का संकल्प लें |
  • इसके बाद  किसी भी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना चाहिए |
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया और क्षमा इन छः कृतिकाओं का पूजन करना अत्याधिक शुभ माना जाता है |

कार्तिक पूर्णिमा की कहानी (Story of Kartik Purnima) 

पुरातन काल में एक समय त्रिपुर नाम का एक राक्षस रहता था, उस राक्षस ने अपनी तपस्या को पूरा करने के लिए एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तप करता रहा , जिसके बाद उसकी इस घोर तपस्या के प्रभाव से समस्त जड़-चेतन, जीव और देवता भयभीत होना शुरू हो गये , जिसके बाद उस राक्षस की तपस्या को भंग करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर उसके पास सुन्दर-सुन्दर  अप्सराओं को भेजा लेकिन भेजी गई अप्सराएं भी उस राक्षस के तप को भंग करने के लिए अनेकों प्रयत्न किये, लेकिन नाकाम रही |  इसके बाद उस त्रिपुर राक्षस ने अपनी एक लाख वर्ष की तपस्या को पूरा करने में कामयाब हो गया, जिसके बाद उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी स्वयं उसके सामने प्रकट हो गये और उस राक्षस से अपने मन मुताबिक़ वरदान मांगने के लिए कहा |    

त्रिपुर ने पहले तो ब्रम्हा की को नमस्कार किया और फिर उसने अपने वरदान में मांगा कि, ‘मैं न तो देवताओं के हाथों मारा जाऊ, न तो कोई मनुष्य हमे मार सके | ब्रह्मा जी ने उसके द्वारा मांगे गये वरदान को तथास्तु कह दिया | इसके बाद अपने इस वरदान के बल पर त्रिपुर पूरी तरह से निडरता में जीने लगा और वह अपने अत्याचारों को और बढ़ावा दे दिया |  इसके बाद वह एक दिन कैलाश पर्वत पर भी पहुँच गया, जंहा पर भगवान शंकर और त्रिपुर के बीच भयानक युध्द शुरू हो गया, जो बिलकुल भी थमने का नाम नहीं ले रहा था, जिसके बाद अंत में शिव जी को ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु की मदद लेनी पड़ी | ब्रम्हा जी और भगवान् विष्णु की मदद से ही भगवान शंकर त्रिपुर का संहार किया और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई |    

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