दुर्गा अष्टमी कब है 2022 | दुर्गा अष्टमी का व्रत | पूजन विधि | दुर्गा जी के 108 नाम

शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी व्रत या महाष्टमी व्रत का अपना एक अलग ही महत्व होता है | नवरात्रि के इस 9 दिनों के पावन पर्व में माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है | यहाँ तक की अधिकांश लोग नौ दिनों का व्रत भी रखते है | हालाँकि कुछ लोग पूरे व्रत न रखते हुए अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार नवरात्रि का पहला और अंतिम व्रत अनिवार्य रूप से रखते है | शास्त्रों के मुताबिक नौ दिनों में दुर्गा माता की पूजा-उपासना से प्रसन्न कर उनसे मनवांछित फल प्राप्त कर सकते है |

नवरात्रि पूजन की शुरुआत प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ शुरू होती है |  इस नवरात्रि में अष्टमी तिथि और नवमी तिथि का विशेष महत्त्व होता है और इन दोनों दिनों में सभी भक्त अपने घरों में कन्या पूजन करते हैं। इस बार नवरात्रि 13 अक्टूबर को ही अष्टमी मनाई जाएगी, क्योंकि इस बार नवरात्रि आठ दिन के ही हैं | दुर्गा अष्टमी कब है 2022 और दुर्गा अष्टमी का व्रत के साथ ही आपको यहाँ पूजन विधि तथा दुर्गा जी के 108 नाम के बारें जानकारी दे रहे है |

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दुर्गा अष्टमी कब है 2022

इस बार शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी या महाष्टमी की तिथियों के लेकर लोगो के मन असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक दुर्गा अष्टमी या महाष्टमी आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि को मनाई जाती है | इस साल अष्टमी ति​थि की शुरुआत 26 सितम्बर दिन सोमवार शुरू होकर 03 अक्टूबर दिन सोमवार को रात 8:09:53 बजे तक है। ऐसे में महाष्टमी व्रत का पूजन 03 अक्टूबर को किया जायेगा। 

दिनांकनवरात्रि के दिन पूजा का कार्यक्रम
26 सितंबर 2022पहला दिन घटस्थापना, मां शैलपुत्री पूजा
27 सितंबर 2022दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी पूजा
28 सितंबर 2022तीसरा दिन मां चंद्रघंटा पूजा
29 सितंबर 2022चौथा दिनमां कुष्मांडा पूजा
30 सितंबर 2022पांचवां दिनपंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
1 अक्टूबर 2022छठा दिनषष्ठी, माता कात्यायनी पूजा
2 अक्टूबर 2022सातवां दिन सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
3 अक्टूबर 2022आठवां दिनदुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा
4 अक्टूबर 2022नौवां दिन महानवमी, शारदीय नवरात्रि
5 अक्टूबर 2022दसवां दिन दशमी, दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी (दशहरा)

दुर्गा अष्टमी पर बनने वाले योग

इस बार दुर्गा अष्टमी सुकर्मा योग में है और यह योग विभिन्न प्रकार के मांगलिक कार्यों के बहुत ही अच्छा माना जाता है। सुकर्मायोग 03 अक्टूबर दिन सोमवार को प्रातः 6 बजकर 09 से शुरू होकर 04 अक्टूबर दिन मंगलवार को 3 बजकर 47 तक रहेगा | सुकर्मा योग के समाप्त होनें के पश्चात सेधृति योग शूरू हो जायेगा | शास्त्रों के अनुसार इस योग में कोई न कोई शुभ कार्य अनिवार्य रूप से करना चाहिए  क्योंकि ऐसा मानना है, कि इस योग में किया गया कार्य बहुत ही शुभ और फलदायी होता है |   

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दुर्गा अष्टमी व्रत एवं पूजा विधि

  • दुर्गा अष्टमी के दिन आपको सबसे पहले दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होनें के पश्चात स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद अपनें हाथों में जल और अक्षत लेकर अष्टमी का व्रत रखने और म​हागौरी माता की पूजा करनें का संकल्प लें।  
  • अब आपको जिस स्थान पर पूजा करनी है, वह दुर्गा जी या मां महागौरी की प्रतिमा स्थापित कर दें | यदि आपने कलश स्थापित किया है, तो पूजा-अर्चना उसी स्थान पर करे |
  • पूजा करने के दौरान आप दुर्गा जी या मां महागौरी को पीले या सफ़ेद पुष्प अर्पित करनें के बाद नारियल का भोग लगाएं।         
  • शास्त्रों के अनुसार नारियल का भोग लगाने से संतान संबधी समस्याओं का निवारण हो जाता है। 
  • पूजा करनें के दौरान आपको महागौरी बीज मंत्र (श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:) का जाप करने के पश्चात सबसे अंत में महागौरी माता की आरती करें।
  • मंदिरों या कई स्थानों पर अष्टमी के दिन आरती के बाद हवन किया जाता है। हवन के लिए हवन सामग्री और प्रयुक्त होने वाली सामग्री अपने पास रखें।
  • आम की सूखी लकड़ियों को कपूर की सहयता से जलाकर अग्नि प्रज्ज्वलित होने पर हवन सामग्री की आहुति दें।

कन्या पूजन

महानवमी के दिन कन्या पूजन की परंपरा है, ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन करने से विद्या, तेज, लक्ष्मी आदि की प्राप्ति होती है | 2 वर्ष की बच्ची को कुमारी, 3 वर्ष की त्रिमूर्ति, 4 वर्ष की कल्याणी, 5 वर्ष की रोहिणी 7 वर्ष की चंडिका, 8 वर्ष की शंभरी जबकि 9 और 10 वर्ष की बच्ची को दुर्गा और सुभद्रा कहा जाता है | इसमें 11 वर्ष की कन्याओं की पूजा करना पूर्णतया वर्जित माना जाता है | कन्या पूजन हवन के बाद ही किया जाता है, जिसमें आप 10 साल की कन्याओं को भोजन, पूजन के साथ ही दान-दक्षिणा दी जाती है | 

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दुर्गा जी के 108 नाम

मां दुर्गा के पूजन के दौरान उनके 108 नामों के जप की भी विशेष महिमा बताई गई है | दरअसल माँ दुर्गा भगवान भोलेनाथ अर्थात शिव भगवान की अर्धांगिनी पार्वती जी का ही स्वरूप है। इस पूजा के दौरान माता जी को प्रसन्न करनें के लिए लोग अलग-अलग तरह से जतन करते है | हालाँकि कई बार कुछ कारणों से वह पूजा को पूरे विधि-विधान से नहीं कर पाते है | ऐसी स्थितियों में आप मां दुर्गा के 108 नाम का जाप कर उनका आशीष प्राप्त कर सकते है |  दुर्गा जी के 108 नाम इस प्रकार है-

1. सती
2. साध्वी
3. भवप्रीता
4. भवानी
5. भवमोचनी
6. आर्या
7. दुर्गा
8. जया
9. आद्य
10. त्रिनेत्र
11. शूलधारिणी
12. पिनाकधारिणी
13. चित्रा
14. चण्डघण्टा
15. सुधा
16. मन
17. बुद्धि
18. अहंकारा
19. चित्तरूपा
20. चिता
21. चिति
22. सर्वमन्त्रमयी
23. सत्ता
24. सत्यानंद स्वरूपिणी
25. अनन्ता
26. भाविनी
27. भाव्या
28. भव्या
29. अभव्या
30. सदागति
31. शाम्भवी
32. देवमाता
33. चिन्ता
34. रत्नप्रिया
35. सर्वविद्या
36. दक्षकन्या
37. दक्षयज्ञविनाशिनी
38. अपर्णा
39. अनेकवर्णा
40. पाटला
41. पाटलावती
42. पट्टाम्बरपरीधाना
43. कलामंजीरारंजिनी
44. अमेय
45. विक्रमा
46. क्रूरा
47. सुन्दरी
48. सुरसुन्दरी
49. वनदुर्गा
50. मातंगी
51. मातंगमुनिपूजिता
52. ब्राह्मी
53. माहेश्वरी
54. इंद्री
55. कौमारी
56. वैष्णवी
57. चामुण्डा
58. वाराही
59. लक्ष्मी
60. पुरुषाकृति
61. विमिलौत्त्कार्शिनी
62. ज्ञाना
63. क्रिया
64. नित्या
65. बुद्धिदा
66. बहुला
67. बहुलप्रेमा
68. सर्ववाहनवाहना
69. निशुम्भशुम्भहननी
70. महिषासुरमर्दिनि
71. मसुकैटभहंत्री
72. चण्डमुण्ड विनाशिनि
73. सर्वासुरविनाशा
74. सर्वदानवघातिनी
75. सर्वशास्त्रमयी
76. सत्या
77. सर्वास्त्रधारिणी
78. अनेकशस्त्रहस्ता
79. अनेकास्त्रधारिणी
80. कुमारी
81. एककन्या
82. कैशोरी
83. युवती
84. यति
85. अप्रौढा
86. प्रौढा
87. वृद्धमाता
88. बलप्रदा
89. महोदरी
90. मुक्तकेशी
91. घोररूपा
92. महाबला
93. अग्निज्वाला
94. रौद्रमुखी
95. कालरात्रि
96. तपस्विनी
97. नारायणी
98. भद्रकाली
99. विष्णुमाया
100. जलोदरी
101. शिवदूती
102. करली
103. अनन्ता
104. परमेश्वरी
105. कात्यायनी
106. सावित्री
107. प्रत्यक्षा
108.ब्रह्मवादिनी

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