Organic Farming Kya Hai 2023 : ऑर्गेनिक या जैविक खेती कैसे करे,

भारत ऐसा देश है जहां पर ही प्रकार की खेती की जाती है। इस देश की लगभग 60 से 70 प्रतिशत जनसँख्या अपना जीवन व्यतीत करने हेतु कृषि कार्यों पर ही निर्भर है | यह भी हम सभी जानते है की आज से कुछ दशक पहले की जानें वाली खेती और इस समय क खेती करनें की प्रक्रिया में एक बहुत बड़ा फर्क है | फर्क का कारण भी यही है की जनसँख्या विस्फोट के कारण अन्न की मांग बढ़नें लगी। भारत में सवतंत्रा से पहले की जानने वाली खेती में किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थो का इस्तेमाल नहीं किया जाता था।

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जैसे की जनसंख्या में अधिक विर्धि के कारण अन्न की मांग को बढ़ता देख लोगो नें कृषि उत्पादन बढ़ानें के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना सुरु कर दिया है। जिसकी वजह से यह अन्न प्रत्येक व्यक्ति की ताकत न बनकर उसकी कमज़ोरी बन रहा है विभन्न बिमारियों के रूप में। परन्तु पहले जैसे Organic Farming की जाती थी। तो बहुत कमी से ही व्यक्ति को बीमारी घेरती थी। यदि आप नहीं जानते है की ऑर्गेनिक खेती क्या होती है, ऑर्गेनिक या जैविक खेती कैसे करे? .तो चलिए आज के लेख के तहत यह जानकारी भी प्राप्त करते है।

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ऑर्गेनिक खेती क्या होती है (What Is Organic Farming)

तो दोस्तों ऑर्गेनिक खेती फसल उत्पादन की एक बहुत पुरानी पद्धति है। आप ऑर्गेनिक खेती को जैविक खेती भी कह सकते हैं। जैविक कृषि में फसलों के उत्पादन में गोबर की खाद कंपोस्ट जीवाणु खाद फसलों के अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों के माध्यम से ही पौधों को पोषक तत्व प्रदान किए जाते है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि जैविक प्रकार की खेती में प्रकृति में पाए जाने वाले तत्व को कीटनाशक रूप से प्रयोग किया जाता है। जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता बनाए रखने के साथ-साथ भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाने का कार्य करती।

Organic Farming का अभिप्राय एक खेती कृषि प्रणाली है। जिसमें फसलों के उत्पादन में रसायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं के जगह पर जैविक खादों का इस्तेमाल किया जाता है। इस समय आर्गेनिक खेती से प्राप्त होने वाली उपज की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है।

ऑर्गेनिक या जैविक खेती कैसे करे (How To Do Organic Farming)

सबसे पहले आपको बता दें की ओर्गानिक या जैविक खेती को देसी खेती भी कहा जाता है। ऑर्गेनिक कृषि प्रकृति और पर्यावरण को संतुलित रखते हुए ही की जाती है। जिसके अंतर्गत वस्तुओं के उत्पादन में रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया जाता है। रसायनिक खाद कीटनाशक पदार्थों की स्थान पर ऑर्गेनिक खेती में गोबर की खाद कंपोस्ट जीवाणु खाद फसल अवशेष फसल चक और प्रकृति में उपलब्ध खनिज पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है।

जिसके तहत फसल को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने हेतु प्रकृति में उपलब्ध मित्र कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में किसी भी प्रकार की फसल के उत्पादन में कृषकों द्वारा विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप उत्पादन की मात्रा बढ़ रही है परंतु उसके कारण व्यक्ति प्रतिदिन नई-नई बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं और साथ ही पर्यावरण का संतुलन भी ख़राब हो रहा है। परन्तु नागरिकों की समस्याओं को देखते हुए ही भारत सरकार द्वारा Organic Farming विभन्न कदम उठाएं जा रहें है।

ऑर्गेनिक या जैविक खेती से लाभ (Benefits From Organic Farming)

  • आर्गेनिक खेती करने से भूमि की उर्वरक क्षमता अर्थात उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे उत्पादन अधिक होता है |
  • जैविक खेती से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है अर्थात पर्यावरण संतुलन बना रहता है | 
  •   रासायनिक खेती की अपेक्षा आर्गेनिक खेती में पानी की आवश्यकता कम होती है |
  • आर्गेनिक खेती में फसलों के उत्पादन में कृषक को लागत कम लगनी पड़ती है और लाभ अधिक होता है।
  • ऑर्गेनिक खेती से उत्पन्न अनाज का सेवन करनें से व्यक्ति को किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित होनें का खतरा नहीं होता है | 
  • पारम्परिक खेती की अपेक्षा जैविक खेती में पैदावार कम होती है परन्तु आय अधिक होती है क्योंकि मार्केट में जैविक खेती से उत्पादित अनाज की मांग अधिक है |

ऑर्गेनिक या जैविक खेती करने की प्रक्रिया (Organic Farming Process)

जैविक या आर्गेनिक खेती करने हेतु कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के अनुसार कार्य करना आवश्यक है, जोकी इस प्रकार है-

मिट्टी की जाँच (Soil Check)

अगर आप ऑर्गेनिक खेती इच्छा रखते है। तो सबसे पहले आपको अपनें खेत की मिट्टी की जांच करवानी होगी। जो आप किसी भी निजी लैब या सरकारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला में की जा सकेगी। इससे कृषक को खेत की मिट्टी से सम्बंधित यह प्राप्त जानकारी हो जाती है, कि मिट्टी में किस तत्व की कमीं है | जिससे कृषक उपयुक्त खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल कर अपनें खेत को अधिक उपजाऊ बनाया जा सकता है।

जैविक खाद बनाना (Making Organic Compost)

इसके बाद आपके पास पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद होना भी आवश्यक है | इसके लिए आपको जैविक खाद बनानें के बारें में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है| जैविक खाद से तात्पर्य है की ऐसी खाद। जो पशु मल-मूत्र अर्थात गोबर तथा फसलों के अवशेष से बनायीं जाती है| आप वेस्ट डिस्पोजर की सहायता से ऑर्गेनिक खाद 3 से 6 माह में तैयार कर सकते है

ऑर्गेनिक या जैविक खाद कैसे बनाये (How To Make Organic Compost)

आपको बतादें की खाद को विभिन्न प्रकार से तैयार किया जाता है, जैसे- गोबर गैस खाद, हरी खाद, गोबर की खाद आदि | इस प्रकार की कम्पोस्ट को प्राकृतिक खाद भी कहते है।जिसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:-

गोबर की खाद बनानें की प्रक्रिया (Process To Make Manure)

तो गोबर की खाद बनाने हेतु आपको लगभग 1 मीटर चौड़ा, 1 मीटर गहरा और 5 से 10 मीटर लम्बा गड्ढा खोदना होगा | सर्वप्रथम आपको गड्ढे में एक प्लास्टिक शीट फैलाकर उसमें फसलों के अवशेष, पशुओं के गोबर के साथ ही पशु मूत्र और पानी उचित मात्र में मिलाकर मिट्टी और गोबर से बंद कर दें। लगभग 20 दिनों के बाद गड्ढे में पड़े मिश्रण को अच्छी तरह मिलाये | इसी प्रकार लगभग 2 माह के बाद आप इस मिश्रण को एक बार पुनः मिलाये और ढ़ककर बंद कर दें | अब तीसरे महीने में गोबर की खाद बनकर तैयार हो जाएगी। जिसे आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इस्तेमाल कर सकते है |

वर्मीकम्पोस्ट केंचुआ की खाद (Vermicompost Earthworm Manure)

आप जानते भी होंगे की अक्सर हम केंचुए को किसान का मित्र भी कहते है, इस का कारण यह है कि यह भूमि को उपजाऊ बनानें में बहुत सहायक है | केंचुए की खाद बनानें के लिए आपके पास 2 से 5 किलो केंचुआ, गोबर, नीम की पत्तियां और जरुरत के अनुसार एक प्लास्टिक की शीट की आवश्यकता होती है | केंचुआ जैसे ऐसीनिया फोटिडा, पायरोनोक्सी एक्सक्वटा, एडिल्स 45 से 60 दिन में खाद बनाते हैं।इसके साथ ही आपको ध्यान रखना है की केंचुए की कम्पोस्ट बनाने के लिए छायादार और नम वातावरण की जरुरत होती है। इसलिए इसे घने छायादार पेड़ों के नीचे या छप्पर के नीचे बनानी चाहिए। जिस स्थान पर यह खाद बनानें जा रहे है, वहां जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी भी ज़रूरी है।

केंचुए और गोबर की खाद में पाए जानें वाले तत्व (Ingredients Found In Earthworm And Manure)

तत्व (प्रतिशत में)केंचुआ खादगोबर की खाद
नाइट्रोजन1.00 – 1.60 0.40 – 0.75
फास्फोरस 0.50 – 5.04 0.17 – 0.30
पोटाश 0.80 – 1.50 0.20 – 0.55
कैल्शियम 0.44 0.91
मैग्नीशियम0.15 0.19
लोहा (पीपीएम)175.20 146.50
मैंगनीज (पीपीएम)96.51 है 69.00
ज़िन (पीपीएम)24.4314.50
कॉपर (पीपीएम)4.892.08
कार्बन नाइट्रोजन15.5031.321
खाद बननें का समय 3 माह12 माह

आपको केंचुए की कम्पोस्ट बनाने के लिए एक लम्बा गड्ढा खोदकर उस में प्लास्टिक शीट फैला कर अपनी जरुरत के अनुसार गोबर, खेत की मिट्टी, नीम पत्ता और केंचुआ मिलानें के पश्चात पानी का छिड़काव करेंगे। साथ ही 1 किलो केंचुआ 1 घंटे में 1 किलो वर्मीकम्पोस्ट बना देता हैं और यह वर्मीकम्पोस्ट में एंटीबायोटिक होता हैं, जो फसलों को विभिन्न प्रकार की बिमारियों का बचाव बनता है।

हरी खाद (Green Compost)

Organic Farming करनें के लिए आप जिस खेत में फसल उत्पादन करना चाहते है। उस खेत में वर्षा होनें से समय में बढ़ने वाली लोबिया, मुंग, उड़द, ढेचा आदि की बुवाई की जाए | और लगभग 40 से 60 दिन के पश्चात उस खेत की जुताई करना भी ज़रूरी है।
जब आप ऐसा करंगे तो खेत को हरी खाद मिलेगी। हरी खाद में नाइट्रोजन, गंधक, सल्फर, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन और जस्ता भरपूर मात्र में पाया जाता है। जो की खेत की उपजाऊ शक्ति को बढ़ावा देने में सहायक होगा।

भारत में जैविक खेती करनें वाले राज्य (Organic Farming States In India)

भारत में सिक्किम देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसे 100 फ़ीसदी जैविक खेती करनें के लिए  ग्लोबल फ्यूच पॉलिसी अवार्ड दिया गया है | आपको बता दें कि सिक्किम का कुल क्षेत्रफल 7 लाख 29 हजार 900 हेक्टर है, जिसमें से मात्र 10.20 प्रतिशत क्षेत्र कृषि योग्य है | जबकि शेष क्षेत्र वन, बेमौसम भूमि के, शीत मरुस्थल और अल्पाइन क्षेत्र आदि के अंतर्गत आते हैं।

सिक्किम भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का पहला ऐसा जैविक राज्य है, जहाँ किसी भी प्रकार की रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है | ऑर्गेनिक खेती से सिक्किम में लगभग 66 हजार से अधिक कृषक लाभन्विन्त हुए है और उनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है |

दरअसल सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग नें वर्ष 2016 में किसी भी तरह के रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था | इसके साथ ही फसलों के उत्पादन में रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करनें पर एक लाख (1,00,000) रुपये का जुर्माना लगा दिया था