G-20 Summit Kya Hai | G-20, कैसे करता है काम, जानें सभी जानकारी इन हिंदी

आपने G-20 समूह के बारे में तो सुना ही होगा। जी-20 (G-20) समूह का नाम अपने अधिकतर अन्तराष्ट्रीय मुद्दों पर ही सुना होगा। इसको ग्रुप ऑफ ट्वेंटी भी कहा जाता है। ये एक प्रकार का शिखर सम्मलेन होता है। जिसमे सभी देशो के नेता दुनिया के राजनैतिक एवं आर्थिक मुद्दों को लेकर विचार-विमर्श एवं योजनाएँ तय करते है।ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में जी-20 समूह को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। इसलिए आपको पहले जी 20 के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है, आज हम आपको बताएंगे कि G-20 समूह एवं G-20 Summit क्या है इसका उद्देश्य और और G-20 का मुख्यालय कहाँ है आदि के विषय में आपको जानकारी प्रदान कराएंगे। इसलिए आप हमारे आर्टिकल को अंत तक ज़रूर पढ़े।

Chardham Yatra 2023

G-20 Summit क्या है ?

G20 की स्थापना सत्र 1999 एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में की गई थी। G-20 समूह (G-20 group) या जिसे ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (Group of Twenty) भी कहा जाता है इसका पहला सम्मेलन दिसंबर 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था। 2008 में दुनिया ने भयानक मंदी का सामना किया था। इसके बाद यह तय किया गया कि साल में एक बार जी-20 राष्ट्रों के नेताओं की बैठक की जाएगी। इसलिए प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली वार्षिक बैठक को ही G-20 Summit के नाम से जाना जाता है।


G-20 समूह के मुख्य उद्देश्य

G20 समूह का मुख्य उद्देश्य व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम पर विचार विमर्श करते हुए इसमें अन्य बातों के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार-विरोध सभी पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही G-20 का गठन सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय नीति में सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार, वैश्विक वित्तीय संकट को टालने के उपाय, सदस्य देशों के आर्थिक विकास और सतत् विकास को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया।इस समूह के द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों एवं समस्याओ पर विचार-विमर्श भी किया जाता है। G-20 समूह में दुनिया के 20 शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देश शामिल किए गए है।

भारत में 2023 में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन

हाल ही में विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs- MEA) ने घोषणा की कि भारत वर्ष 2023 में नई दिल्ली में G-20 समूह के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा।

  • 17वाँ G20 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों का शिखर सम्मेलन नवंबर 2022 में इंडोनेशिया में होगा, जिसके बाद भारत दिसंबर 2022 से G20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
  • भारत एक वर्ष की अवधि के लिये G20 की अध्यक्षता करेगा।

भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन पर अतिथि देश

  • बांग्लादेश,
  • मिस्र,
  • मॉरीशस
  • नीदरलैंड
  • नाइजीरिया
  • ओमान
  • सिंगापुर
  • स्पेन और
  • संयुक्त अरब अमीरात

भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन पर अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित करेगा।

भारत में होने वाले जी-20 की थीम क्या है

भारत का जी-20 अध्यक्षता का विषय ‘वसुधैव कुटुंबकम’ या ‘एक पृथ्वी-एक कुटुंब-एक भविष्य’ है। इसे महाउपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है।भारत (वर्तमान अध्यक्ष) और ब्राजील (वर्ष 2024 में अध्यक्षता) शामिल होंगे।

जी-20 के सदस्य देश की लिस्ट

यहाँ आपको जी-20 समूह में निम्नलिखित देश शामिल है।
1. रूस
2. इटली
3. जर्मनी
4. ब्राजील
5. ऑस्ट्रेलिया
6. मैक्सिको
7. दक्षिण अफ्रीका
8. तुर्की
9. इंडोनेशिया
10. सऊदी अरब
11. जापान
12. कोरिया गणराज्य
13. फ्रांस
14. अर्जेंटीना
15. चीन
16. कनाडा
17. भारत
18. यूनाइटेड किंगडम
19. संयुक्त राज्य अमेरिका
20. यूरोपीय संघ

G-20 समूह का मुख्यालय कहाँ है

आपको बता दे कि G-20 समूह का कोई भी स्थायी मुख्यालय नहीं है। ऐसे में प्रतिवर्ष जिस देश द्वारा G-20 समिट की अध्यक्षता की जाती है, वही देश अनौपचारिक रूप से मुख्यालय का कार्य करने लगता है। G-20 समूह द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिए प्रतिवर्ष वार्षिक समिट आयोजित किए जाते है। जहाँ दुनिया के विभिन आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर चर्चा एवं सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है। G-20 समूह द्वारा प्रतिवर्ष सदस्य देशों में से ही रोटेशन के आधार पर अध्यक्ष देश का चुनाव किया जाता है एवं अध्यक्ष देश द्वारा ही G-20 समिट की अध्यक्षता पूर्ण की जाती है। वर्ष 2022 में G-20 समिट की अध्यक्षता इण्डोनेशिया द्वारा की जा रही है। वर्ष 2023 में होने वाला G-20 Summit भारत में आयोजित किया जायेगा।

G-20 Summit सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  • G-20 Summit में सभी सदस्य देशो के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों को शामिल किया जाता है।
  • इस समिट में मुख्यत Global Economy के विकास एवं Financial stability सम्बंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
  • G-20 के सदस्य देशो को कुल पांँच समूहों में बांँटा गया है। भारत समूह 2 में शामिल है।
  • G-20 Summit में विभिन Global Economy को वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों द्वारा sherpa system के आधार पर तय किया जाता है।

G-20 की कुछ उपलब्धियाँ

  • जी 20 की प्रमुख उपलब्धियों में 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान आपातकालीन वित्तपोषण की त्वरित व्यवस्था शामिल है।
  • यह राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की निगरानी व्यवस्था में सुधार करके अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधारों के लिये भी काम करता है।
  • पिछले कुछ वर्षों में G-20 भी दुनिया को प्रभावित करने वाले लगभग सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये एक मंच बन गया है।

G-20 शिखर सम्मेलन के मुख्य मुद्दे

  • G-20 समूह के नेताओं द्वारा 10 साल पहले अस्तित्व में आए G-20 के कार्यों की समीक्षा के साथ ही आने वाले दशक की नई चुनौतियों से निपटने के तरीके और समाधान पर भी चर्चा की गई।
  • इस बार के जी-20 शिखर सम्मेलन की थीम सम्मेलन की थीम ‘न्यायपूर्ण और सतत् विकास के लिये आम सहमति’ (Building Consenus for fare and sustainable development) है।
  • इस दौरान G-20 शिखर सम्मेलन में जुटे देश के नेताओं द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था, श्रम बाज़ारों के भविष्य और लिंग समानता के मुद्दे पर भी चर्चा की गई।
  • इसके अलावा इस बार के एजेंडे में मैक्रो इकोनॉमिक पॉलिसी, डिजिटल अर्थव्यवस्था, विश्व व्यापार संगठन में सुधार, वित्तीय विनियमन, कराधान और व्यापार के मुद्दे भी शामिल हैं।
  • इसके साथ ही सम्मेलन का मुख्य फोकस भविष्य के विकास के लिये आधारभूत संरचना और खाद्य सुरक्षा पर है।
  • अमेरिका ने हाल ही में चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर का टैरिफ लगभग था जिसका चीन ने कड़ा विरोध किया था।
  • चीन को उम्मीद है कि वह अमेरिका को टैरिफ कम करने के लिये मना लेगा। अमेरिका ने घोषणा की है कि वह चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर देगा, जबकि चीन चाहता है कि टैरिफ की यह दर अधिकतम 10 प्रतिशत रहे।
  • वर्तमान समय में विश्व की बदलती परिस्थिति में खासकर वणिज्य को लेकर चीन और अमेरिका के बीच विवाद छिड़ा हुआ है। इस पर सारी दुनिया की नज़र है कि क्या इससे आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है।