Plasi ka Yuddh Kab OR Kahan Hua : प्लासी का युद्ध कब और कहाँ हुआ,

आपने जब भी इतिहास पढ़ा होगा, तो आपने प्लासी के युद्ध के बारे में ज़रूर पढ़ा या सुना होगा। क्योकि इतिहास में प्लासी के युद्ध का विवरण बहुत ही विस्तृत है। इसीलिए आज हम आपके लिए प्लासी में हुए युद्ध का सम्पूर्ण इतिहास को पीडीऍफ़ नोट्स के रूप में लाये है। दरअसल हम आपको बताते है कि प्लासी, भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य के नदिया जिले में भारत के सबसे पवित्र नदी गंगा के किनारे बसा हुआ है।

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प्लासी का प्रथम युद्ध 23 जून वर्ष 1757 ईस्वी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सेना ओर बंगाल के नवाब की सेना के हुआ था। तो ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को नबाव की सेना ने बहुत ही जल्दी कंपनी के सेना के सामने हार स्वीकार करना पड़ा। यदि आप Plasi Ka Yuddh के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप हमारी पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढ़े।

प्लासी का युद्ध क्या है?

प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 को कलकत्ता के पास भागीरथी नदी के तट पर पलाशी में लड़ा गया था। प्लासी का युद्ध रॉबर्ट क्लाइव और सिराज-उद-दौला (बंगाल के नवाब) की अध्यक्षता वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के बीच तकरार हुए युद्ध की है। व्यापार विशेषाधिकारों के ईआईसी अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर दुरुपयोग ने सिराज को क्रोधित कर दिया था। EIC द्वारा जारी किये गए दुराचार के कारण सिराज-उद-दौला ने 1757 में प्लासी की लड़ाई हुई।

प्लासी के युद्ध के कारण –


(1) आंतरिक संघर्ष – सिराजुद्दौला बंगाल की गद्दी पर बैठा तो उसे शौकतगंज के संघर्ष का सामना करना पङा क्योंकि शौकतगंज बंगाल का नवाब बनना चाहता था। उसको छसीटी बेगम तथा उसके दीवान राजवल्लाव का समर्थन प्राप्त था। सिराजुद्दौला ने इस आन्तरिक संघर्ष को सुलझाने का प्रयास किया था क्योंकि इससे बंगाल की राजनीति में अंग्रेजों का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा था।

(2 ) अंग्रेजों द्वारा नवाब के विरुद्ध रचा गया षडयंत्र – बंगाल एक उपजाऊ और धनी प्रांत था इसी कारण अंग्रेज बंगाल पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहते थे। कम्पनी आर्थिक लाभ कमाने के लिए भी बंगाल पर अधिकार करना चाहती थी। अंग्रेजों ने हिन्दू व्यापारियों को भी अपनी ओर मिला लिया था और उनको नवाब के विरुद्ध भङकाना शुरू कर दिया था। इसी कारण बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला अंग्रेजों से घृणा करता था।

(3) अंग्रेजों द्वारा किले बन्दी – यूरोप में इस समय सप्तवर्षीय युद्ध छिङने की आशंका थी। इसमें इंग्लैण्ंड और फ्रांस एक-दूसरे के विरुद्ध लङने वाले थे। दूसरे देश में जो अंग्रेज और फ्रांसीसी थे। उन्हें भी युद्ध की आशंका थी। इसी कारण उन्होंने अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किलेबन्दी करना शुरु कर दिया। बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला इसे बर्दास्त नहीं कर सकता था।

(4) अंग्रेज द्वारा सिराजुद्दौला को नवाब की मान्यता नहीं देना – जब सिराजुद्दौला का राज्याभिषेक हुआ था तब अंग्रेजों का कोई प्रतिनिधि दरबार में उपस्थित नहीं हुआ था। क्योंकि वे सिराजुद्दौला को नवाब नहीं मानते थे इसी कारण दोनों के बीच संघर्ष की संभावना बढ़ती गई।

(5) नवाब बदलने की कोशिश – अंग्रेज सिराजुद्दौला को हटा कर एक ऐसे व्यक्ति को नवाब चाहते थे जो उनके इशारे पर चले और इसके लिए अंग्रेजों ने अनेक प्रयास भी किये।

प्लासी के युद्ध की घटनाएँ

प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 को कलकत्ता के पास भागीरथी नदी के तट पर पलाशी में लड़ा गया था। तीन घंटे की भीषण लड़ाई के बाद भारी बारिश हुई। नवाब की हार के कारणों में से एक भारी बारिश के दौरान अपने हथियारों की रक्षा के लिए योजना की कमी थी जिसने मीर जाफर के विश्वासघात के अलावा प्रमुख कारण ब्रिटिश सेना के पक्ष में कर दिया। 50,000 सैनिकों, 40 तोपों और 10 युद्ध हाथियों वाली सिराज-उद-दौला की सेना को रॉबर्ट क्लाइव के 3,000 सैनिकों ने हरा दिया। युद्ध 11 घंटे में समाप्त हो गया और सिराज-उद-दौला अपनी हार के बाद युद्ध से भाग गया। रॉबर्ट क्लाइव के अनुसार, ब्रिटिश सैनिकों से 22 लोग मारे गए और 50 घायल हो गए। नवाब सेना ने कई प्रमुख अधिकारियों सहित लगभग 500 लोगों को खो दिया और उनमें से कई को कई हताहत भी हुए।

प्लासी के युद्ध के परिणाम

  • (1) मीरजाफर को क्लाइव ने बंगाल का नवाब घोषित कर दिया। उसने कंपनी और क्लाइव को बेशुमार धन दिया और संधि के अनुसार अंग्रेजों को भी कई सुविधाएँ मिली।
  • (2) मीरजाफर अंग्रेजों के हाथों की कठपुतली मात्र था, जो बंगाल की गद्दी पर बैठा था।
  • (3) प्लासी के युद्ध ने बंगाल की राजनीति पर अंग्रेजों का नियंत्रण कायम कर दिया।
  • (4) अंग्रेज पहले तो व्यापारी ही थे परन्तु अब वे राजशक्ति के स्रोत बन गये।
  • (5) इस युद्ध का भारतीयों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पङा। एक व्यापारी कंपनी ने भारत आकर यहाँ से सबसे अमीर प्रांत के सूबेदार को अपमानित करके गद्दी से हटा दिया।
  • (6) अंग्रेजों ने आर्थिक दृष्टि से भी बंगाल का शोषण करना शुरू कर दिया।
  • (7) प्लासी के युद्ध से प्रेरणा लेकर क्लाइव ने आगे बंगाल में अंग्रेजी सत्ता स्थापित कर ली।
  • (8) बंगाल से प्राप्त धन के आधार पर अंग्रेजों ने दक्षिण में फ्रांसीसियों पर विजय प्राप्त कर ली।
  • (9) प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल में ल्यूक स्क्राफ्ट्रन को नवाब के दरबार में अंग्रेज रेजिडेंट नियुक्त किया गया। प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल में ल्यूक स्क्राफ्ट्रन को नवाब के दरबार में अंग्रेज रेजीडेंट नियुक्त किया गया।
  • (10) प्लासी के युद्ध के बाद आर्थिक रूप से भारत के इस सबसे समृद्ध प्रांत को जी भर कर लूटा गया। 1757 से 60 के बीच मीरजाफर ने अंग्रेजों को तीन करोङ रू. को घूस दिया, क्लाइव को युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में 37,70, 833 पोण्ड प्राप्त हुआ।
  • (11) प्लासी के युद्ध के परिणामों की बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों की विजय के साथ पुष्टि हुई। युद्ध ने अंग्रेजों को तात्कालिक सैनिक एवं वाणिज्यिक लाभ प्रदान किया, कंपनी का बंगाल, बिहार और उङीसा पर राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित हुआ।
  • (12) प्लासी के युद्ध के परिणाम में इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने कहा कि ’’23 जून, 1757 को भारत में मध्यकालीन युग का अंत हो गया और आधुनिक युग का शुभारम्भ हुआ। एक पीढ़ी से भी कम समय या प्लासी के युद्ध के 20 वर्ष बाद ही देश धर्मतंत्री शासन के अभिशाप से मुक्त हो गया।’’
  • डाॅ. दीनानाथ वर्मा के शब्दों में ’’प्लासी का युद्ध एक ऐसे विशाल और गहरे षड्यंत्र का प्रदर्शन था, जिसमें एक ओर कुटिल नीति निपुण बाघ था और दूसरी ओर भोला शिकार, युद्ध में अदूरदर्शिता की हार हुई और कुटिलता की जीत। यदि इसका नाम युद्ध है तो प्लासी का प्रदर्शन भी युद्ध था। लेकिन सामान्य भाषा में जिसे युद्ध कहते हैं वह प्लासी में कभी हुआ ही नहीं।’’?
  • इतिहासकार के.एस. पन्निकर के अनुसार, ’’प्लासी सौदा था,, जिसमें बंगाल के धनी लोगों और मीरजाफर नेे नवाब को अंग्रेजों को बेच दिया।’’
  • अल्फ्रेड लायल के अनुसार, ’’प्लासी में क्लाइव की सफलता ने बंगाल में युद्ध तथा राजनीति का एक अत्यन्त विस्तृत क्षेत्र अंग्रेजों के लिए खोल दिया।’

प्लासी के युद्ध का महत्त्व

राजनैतिक महत्त्व

(1) अंग्रेजी कम्पनी के स्वरूप में परिवर्तन – अंग्रेज कंपनी पहले एक व्यापारिक कंपनी थी लेकिन प्लासी की विजय के पश्चात् बंगाल पर उसका प्रभुत्व स्थापित हो गया था, इस कारण कंपनी एक राजनैतिक शक्ति बन गई थी।

(2) बंगाल में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना – चूँकि बंगाल का नबाव अंग्रेजों की इच्छा से बनाया गया था, अब वह अंग्रेजों का कठपूतली नबाव था, अब वह ना मात्र का नवाब रह गया था। इस प्रकार यह संभावना हो गयी थी कि भारत में बंगाल में प्रथम ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना बहुत जल्दी हो जायेगी।

(3) बंगाल के राजनैतिक परिदृश्य में बदलाव – पहले जहाँ बंगाल के नबाव स्वतंत्र शासक होती थे लेकिन युद्ध के पश्चात् उनकी स्थिति आश्रित शासक की भाँति हो गयी।

अब नबाव अंग्रेजों की इच्छा के अनुसार बदले जाने लगे, बंगाल में पहले फ्रांसीसियों की स्थिति नवाब के पक्ष में होती थी, लेकिन अंग्रेजों के द्वारा फ्रांसिसियों को भी हटा दिया गया। इस कारण नबाव के समर्थकों की शक्ति काफी कम हो गये।

आर्थिक महत्त्व

कंपनी इस समय भारत में वित्तीय संकट का सामना कर रही थी लेकिन जब मीर जाफर को नबाव बनाने का आश्वासन दिया, तो बदले में अंग्रेजों को बङी मात्रा में पुरस्कार, घूस, रिसव, भेंट प्राप्त हुई। इस कारण कंपनी का आर्थिक संकट दूर हो गया। बंगाल में ऐसी लूट शुरू हुई, जिससे भारत के सबसे धनी प्रदेश को सबसे निर्धन प्रदेश बना दिया।
बंगाल के व्यापार पर अंग्रेजों से नवाब से विभिन्न रियायतें प्राप्त करके एकाधिकार स्थापित कर लिया। पान-सुपारी, तम्बाकू इन वस्तु के व्यापार पर शीघ्र ही अंग्रेजों का एकाधिकार हो गया।

यहाँ से प्राप्त धन के द्वारा दक्षिण भारत के कर्नाटक और हैदराबाद राज्यों को जीतने में सफलता मिली। क्योंकि दक्षिण भारत में कंपनी इस समय वित्तीय संकट का सामना कर रही थी।कंपनी को इंग्लैण्ड से बुलियन धातुओं को लाने की मजबूरी खत्म हो गयी क्योंकि बंगाल से बङी मात्रा में सोना-चाँदी एवं पैसा प्राप्त हुआ था जिस कारण ये लोग बंगाल से वस्तु खरीदते थे। यहाँ से प्राप्त सोने-चाँदी से चीन और इंग्लैण्ड में निवेश किया, जिस कारण इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति को गति मिली तथा चीन के साथ कंपनी का व्यापार बढ़ा। चूँकि इस लूट में कम्पनी के कर्मचारियों को भी बङी मात्रा में धनी राशि प्राप्त हुई थी। जिसकी सहायता से उन्होंने निजी व्यापार शुरु किया।

सैनिक महत्त्व

प्लासी के युद्ध में दोनों सेनाओं के मध्य झङप हुई थी जिस के आधार पर अंग्रेजों की सैनिक श्रेष्ठता का निर्धारण नहीं हुआ था, क्योंकि यह विजय सैनिक श्रेष्ठता का निर्धारण नहीं हुआ था, क्योंकि यह विजय सैनिक शक्ति के अतिरिक्त विश्वासघात और सैनिक षड्यंत्र के माध्यम से विजय प्राप्त की। अतः अभी भी सैनिक दृष्टि से कौन श्रेष्ठ है इसका निर्धारण शेष रह गया था। और इसका निर्धारण बक्सर के युद्ध में हुआ। इस युद्ध के माध्यम से नवाब की सेनाओं का खोखलापन उजागर हो गया। मीर जाफर जब नवाब बना तो उसने सीलहट (असम) का चूना-पत्थर वाला इलाका आधा अंग्रेजों को सौंप दिया। जिस कारण भविष्य में अंग्रेजों का तोपखाना मजबूत हो गया।

नैतिक महत्त्व

प्लासी के युद्ध में नैतिक दृष्टि से देखा जाये तो दोंनो तरफों द्वारा अपने साध्य को प्राप्त करने के लिए अनुचित साधन अपनाया गया। जहाँ अंग्रेजों के द्वारा अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पुरस्कार, भूस, लूट को माध्यम बनाया। वहीं बगाल के लोगों ने अपने उद्देश्य प्राप्त करने के लिए अपने स्वामी से विश्वासघात किया।