वीवीपीएटी क्या है : VVPAT Full Form in Hindi,

वीवीपीएटी (VVPAT) मशीन की जानकारी

भारत में किसी भी स्तर पर होनें वाले चुनावों में जीते हुए प्रत्याशी पर अक्सर उसके विपक्षी पार्टियों द्वारा धांधली अर्थात मतगणना में मतों के हेर-फेर का आरोप लगाया जाता है| ऐसे में कभी – कभी स्थितियां काफी गंभीर हो जाती है| जबकि चुनाव आयोग द्वारा मतदान और मतगणना प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरती जाती है| इसके बावजूद भी विपक्षी दलों द्वारा विभिन्न प्रकार के आरोप लगाये जाते है| निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और डिजिटल बनाने के लिए वीवीपीएटी (VVPAT) मशीन का प्रयोग किया जा रहा है, जो ईवीएम मशीन के साथ अटैच रहती है| आखिर यह वीवीपीएटी (VVPAT)क्या है, इसका फुल फार्म और यह मशीन कार्य कैसे करती है ? इसके बारें में आपको इस पेज पर पूरी जानकारी विस्तार से दे रहे है|

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वीवीपीएटी फुल फार्म  (VVPAT Full Form)

चुनाव आयोग (Election Commission) के अनुसार, वीवीपीएटी (VVPAT) का फुल फॉर्म Voter Verifiable Paper Audit Trail (वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) है|

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वीवीपीएटी मशीन क्या है (What Is VVPAT Machine)

वीवीपीएटी मशीन एक प्रकार की अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो कि ईवीएम मशीन से जुडी होती है|  जैसे ही कोई मतदाता ईवीएम मशीन पर अपने प्रत्याशी को वोट देता है तो मतदान करनें वाला मतदाता इस मशीन के माध्यम से उस प्रत्याशी का नाम देख सकता है, जिसे उसने वोट दिया है। मतदान करनें के तुरंत बाद वीवीपीएटी मशीन से एक रसीद निकलती है जिससे मतदाता को यह विश्वाश हो जाता है, कि  उसने जिस प्रत्याशी के नाम के आगे का बटन दबाया, वोट उस प्रत्याशी को प्राप्त हुआ है,

वीवीपीएटी मशीन की सबसे खास बात यह है कि मतदान करनें के बाद मतदाता विजुअली सात सेकंड तक देखा जा सकता है, कि उसने किसे वोट किया है| इसके साथ ही इस मशीन में मतदाता को प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह और नाम उसकी ओर से चुनी गई भाषा में दिखाई देगा।

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वीवीपीएटी मशीन कार्य कैसे करती है (How VVPAT Machine Works)

मतदान के दौरान जब कोई मतदाता ईवीएम मशीन में किसी प्रत्याशी के सामने बटन दबाकर उसे वोट करेंगे तो वीवीपीएटी मशीन से एक पर्ची निकलेगी जो यह दर्शाएगी कि आपका वोट किस कैंडिडेट को डाला गया है| वीवीपीएटी मशीन से निकालनें वाली पर्ची पर प्रत्याशी का नाम और उसका चुनाव चिन्ह प्रिंट होता है| वीवीपीएटी मशीन से निकलनें वाली पर्ची मतदाता के बीच एक कांच की एक दीवार होती है| एक मतदाता के रूप में आप 7 सेकेंड तक इस पर्ची को देख पाएंगे और फिर यह सीलबंद बॉक्स में गिर जाएगी|

भारत में वीवीपीएटी मशीन का निर्माण (VVPAT Machine Manufacture in India)

वीवीपीएटी मशीन और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का निर्माण चुनाव आयोग द्वारा चयनित भारत की दो बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कम्पनियों द्वारा किया जाता है| जो कि हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया और बैंगलोर में स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड है| यह भारतीय कम्पनियाँ कम्पनियाँ वोटिंग मशीन के आलावा सशस्त्र सैन्य बल अर्थात इंडियन आर्मी के लिए भी अनेक प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक मशीनों का निर्माण करती हैं|

वीवीपीएटी मशीन का इतिहास (History Of  VVPAT Machine)

वर्ष 2010 में सभी राजनीतिक दलों नें राजनैतिक मीटिंग में ईवीएम के साथ-साथ वीवीपीएटी का सुझाव रखा | सभी की सर्वसम्मति से एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया, जिसका मुख्य कार्य  पेपर ट्रायल की संभावनाओं की खोज करना था| इसके बाद इलेक्शन कमीशन आयोग नें  आयोग ने भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड तथा इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड द्वारा वीवीपीएटी मशीन का नमूना तैयार करने को कहा| वर्ष 2011 के जुलाई माह में देश के 5 राज्यों में इस मशीन का प्रयोग किया गया जो पूर्ण रूप से सफल रहा| वीवीपीएटी मशीन की सफलता को देखते हुए भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को इसका प्रयोग वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में करने का आदेश दिया| इस प्रकार वीवीपीएटी मशीन का प्रयोग चुनावों में निरंतर किया जा रहा है|

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भारत में वीवीपीएटी मशीन का पहला प्रयोग (First use of VVPAT Machine in India)

भारत में वीवीपीएटी मशीन का पहला प्रयोग वर्ष 2013 में नागालैंड के उपचुनावों में किया गया परन्तु मिजोरम देश का पहला राज्य बना जहाँ पर इसका प्रयोग सबसे बड़े पैमाने पर हुआ| फरवरी 2017 में गोवा में विधानसभा चुनाव के दौरान सभी सीटों पर वीवीपीएटी मशीन का इस्तेमाल किया गया|

विवाद की स्थिति उत्पन्न होनें पर प्रावधान  (Provisions on When a Dispute Arises)

यदि कोई मतदाता मतदान के दौरान वीवीपैट मशीन से निकलनें वाली पर्ची पर किसी अन्य व्यक्ति का नाम आने की बात करता है, तो चुनाव अधिकारियों द्वारा उस मतदाता से पहले एक हलफनामा भरवाएंगे, इसके साथ ही मतदाता को बताया जाएगा कि सूचना गलत होने आपके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी| इसके पश्चात चुनाव अधिकारी सभी पोलिंग एजेंटों के सामने एक रेंडम-टेस्ट वोट डालेंगे, जिसे बाद में मतगणना के दौरान घटा दिया जाएगा| इस वोट से मतदाता द्वारा किये गये दावे की सच्चाई की जानकारी प्राप्त हो जाएगी|

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