बहुमत (Majority) क्या होता है | भारत में बहुमत के प्रकार | Types Of Majority In Indian Parliament In Hindi

बहुमत से सम्बंधित जानकारी (Majority Information)

सम्पूर्ण विश्व में एकतंत्रात्मक एवं लोकतंत्रात्मक दो प्रकार के तंत्र मौजूद हैं| यदि हम लोकतंत्रात्मक व्यवस्था की बात करे तो, लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में भी 2 प्रकार की प्रणालियां मौजूद हैं, जिन्हे हम संसदीय प्रणाली तथा अध्यक्षात्मक प्रणाली कहते है। देश का शासन चलाने के लिये भारतीय संविधान में लोकतांत्रिक सरकार के गठन की परिकल्पना की गई है अर्थात भारत में लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था है, जिसका स्वरूप संसदीय है।

इस व्यवस्था के अंतर्गत नागरिकों को मतदान के माध्यम से सरकार चुनने का अवसर प्राप्त होता है और चुनाव के बाद बहुमत के आधार पर सरकार का गठन होता है। बहुमत क्या होता है, बहुमत के प्रकार तथा सामान्य और विशेष बहुमत में अंतर के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी विस्तार से दे रहे है|

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बहुमत क्या होता है (What Is Majority)

बहुमत को इंग्लिश में मेजोरिटी (Majority) कहते है| बहुमत शब्द का प्रयोग मुख्यतः मतदान के सन्दर्भ में किया जाता है। सामान्यतः जब कोई प्रत्याशी सर्वाधिक मत प्राप्त करता है, तो उसे ‘बहुमत मिला है’ कहते हैं। संसदीय व्यवस्था के अंतर्गत पार्लियामेंट (संसद) या विधानसभा में सबसे अधिक सदस्यों वाले राजनीतिक दल द्वारा पूर्ण बहुमत से बनाई गई सरकार को बहुमत की सरकार कहते हैं|

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बहुमत के प्रकार (Types Of Majority)

सामान्यतः बहुमत 4 प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार है-

  1. सामान्य या साधारण बहुमत (Simple Majority)
  2. पूर्ण बहुमत (Absolute Majority)
  3. प्रभावी बहुमत (Effective Majority)
  4. विशेष बहुमत (Special Majority)

1.सामान्य या साधारण बहुमत (Simple Majority)

साधारण या सामान्य बहुमत के अंतर्गत किसी भी सदन में कुल उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। जिस राजनीतिक पार्टी के पास सदस्यों की संख्या पचास प्रतिशत से अधिक होती है, उसे साधारण बहुमत मिला हुआ मान लिया जाता है। साधारण बहुमत को निकालने का फार्मूला इस प्रकार है-

साधारण बहुमत = (कुल उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों की संख्या / 2) + 1

उदाहरण– उदाहरण के लिए मान लेते है कि लोकसभा में कुल सदस्य 545 हैं, और उनमें से 520 सदस्य उपस्थित हैं और उपस्थित सदस्यों में से मतदान में सिर्फ 500 सदस्यों ने भाग लिया, तो

साधारण बहुमत = (500 / 2) + 1 = 251

इस प्रकार उदाहरण के आधार पर हम कहेंगे कि सदन में जिसके पास 251 की संख्या है, उसने साधारण बहुमत प्राप्त कर लिया है।

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2. पूर्ण बहुमत (Absolute Majority)

पूर्ण या आत्यांतिक बहुमत संसद के किसी भी सदन के कुल सदस्यों का 50 प्रतिशत से अधिक होता है| इसमें सदन में उपस्थित और अनुपस्थित दोनों सदस्यों को जोड़ कर बनने वाले 50 प्रतिशत से अधिक को बहुमत माना जाता है| लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत एक ही फॉर्मूले से निकाला जाता है| उन दोनों सदनों के कुल सदस्यों के 50% से अधिक को पूर्ण बहुमत कहा जाता है पूर्ण बहुमत को निकालने का फार्मूला इस प्रकार है- पूर्ण या आत्यांतिक बहुमत = (सदन की कुल सदस्य संख्या / 2) + 1

उदाहरण- उदाहरण के लिए मान लीजिये कि लोकसभा में कुल सदस्य 545 हैं, तो पूर्ण बहुमत = (545 / 2) + 1 = 273

इस उदाहरण के आधार पर हम कहेंगे कि सदन में जिसके पास 273 की संख्या है, उस दल नें बहुमत प्राप्त कर लिया है।

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3. प्रभावी बहुमत (Effective Majority)

प्रभावी बहुमत के अंतर्गत किसी भी सदन में वास्तविक सदस्यों (रिक्तियों को घटाकर) की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। प्रभावी बहुमत को निकालने का फार्मूला इस प्रकार है-

प्रभावी बहुमत = (सदन की वास्तविक सदस्य संख्या / 2) + 1

प्रभावी बहुमत का उदाहरण

मान लीजिए कि लोकसभा में कुल सदस्य 545 हैं, और उनमें से 20 सीटें रिक्त अर्थात खाली है तो वास्तविक सदस्य संख्या 545-20 = 525

इस आधार पर वास्तविक बहुमत = (520 / 2) + 1 = 261

इस उदाहरण के आधार पर हम कहेंगे, कि सदन में जिसके पास 261 की संख्या है, उस पार्टी नें प्रभावी या वास्तविक बहुमत प्राप्त कर लिया है।

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4. विशेष बहुमत (Special Majority)

विशेष बहुमत का प्रयोग मुख्य रूप से दो कारणों संविधान में संशोधन करनें तथा महाभियोग लानें में किया जाता है| इसमें सदन के कुल सदस्यों का दो तिहाई (2/3) गिना जाता है, कहनें का आशय यह है कि संसद के किसी भी सदन में कुल सदस्यों की संख्या के दो तिहाई को विशेष बहुमत कहा जाता है| इसे निकालने का फार्मूला इस प्रकार है-

विशेष बहुमत = सदन में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों की संख्या X 2/3

विशेष बहुमत का उदाहरण

लोकसभा कुल सदस्य = 543

543/3 = 181

अब 181 को 2 से गुणा करनें पर 181 X 2 = 362

लोकसभा विशेष बहुमत 362 है|

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विशेष बहुमत के प्रकार (Types Of Special Majority)

विशेष बहुमत 4 प्रकार के होते है, जो इस प्रकार है-

  • अनुच्छेद 249 / 312 के तहत विशेष बहुमत (राज्यसभा की विशेष शक्ति)
  • अनुच्छेद 61 के तहत विशेष बहुमत
  • अनुच्छेद 368 के तहत विशेष बहुमत
  • अनुच्छेद 368 के तहत विशेष बहुमत एवं 50% राज्यों का साधारण बहुमत के द्वारा समर्थन (संविधान संशोधक)

सामान्य और विशेष बहुमत में अंतर (Difference Between Simple and Special Majority)

सामान्य या साधारण बहुमत के अंतर्गत सदन में सभी सदस्यों की उपस्थिति न होने पर भी किसी भी कार्य को करनें में उनकी उपस्थिति 50 प्रतिशत मानी जाती है, अर्थात 50 प्रतिशत +1 का नियम लागू होता है, जबकि विशेष बहुमत का प्रयोग संविधान में संशोधन करनें तथा महाभियोग लगानें हेतु किया जाता है| इसके अंतर्गत सदन के कुल व उपस्थित सदस्य संख्या के दो-तिहाई (2/3) सदस्यों का समर्थन होनें पर ही विधेयक पारित किया जाता है |

अनुच्छेद 61 के अनुसार विशेष बहुमत

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया से संबंधित है। इस अनुच्छेद के तहत, विशेष बहुमत को सदन की कुल संख्या के 2/3 के बहुमत के रूप में संदर्भित किया जाता है।
  • इस अनुच्छेद के अनुसार लोकसभा का विशेष बहुमत 364 और राज्य सभा का 164 है।

अनुच्छेद 249 के अनुसार विशेष बहुमत

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 249 के अनुसार, विशेष बहुमत उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 का बहुमत है।
  • इस प्रकार के विशेष बहुमत का उपयोग राज्यसभा के प्रस्ताव को पारित करने के लिए किया जाता है जो संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार देता है।

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अनुच्छेद 368 के अनुसार विशेष बहुमत

  • अनुच्छेद 368 के अनुसार, सदन की कुल संख्या के 50% से अधिक द्वारा समर्थित उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 2/तिहाई बहुमत को विशेष बहुमत के रूप में संदर्भित किया जाता है।
  • उदाहरण के लिए, यदि किसी विधेयक को लोकसभा में पारित किया जाना है, तो उसे 273 सदस्यों (कुल संख्या के 50% से अधिक) का समर्थन प्राप्त होना चाहिए और इसके अलावा इसे उपस्थित सदस्यों के 2/3 से अधिक द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए। और सदन में मतदान।
  • इस प्रकार के विशेष बहुमत का प्रयोग निम्नलिखित मामलों में किया जाता है,
    • संविधान संशोधन विधेयकों को पारित करने के लिए
    • सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के लिए
    • भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को हटाने के लिए।
    • राज्य विधान परिषद के निर्माण या समाप्ति पर एक प्रस्ताव पारित करने के लिए राज्य विधान सभा द्वारा उपयोग किया जाता है।
    • देश में राष्ट्रीय आपातकाल के विस्तार को मंजूरी देने के लिए

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साधारण बहुमत द्वारा 50% राज्य अनुसमर्थन के साथ अनुच्छेद 368 के अनुसार विशेष बहुमत

  • जब भी संविधान संशोधन विधेयक संघीय ढांचे में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है, तो ऐसे विधेयकों को उपस्थित सदस्यों के 2/3 के विशेष बहुमत और मतदान के साथ-साथ राज्य विधानमंडलों की कुल संख्या के 50% से अधिक की पुष्टि एक साधारण द्वारा पारित करने के लिए किया जाता है। बहुमत आवश्यक है।

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